10 हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा गया सर्वे लेखपाल।
जमीनों के कागजात मे वारिसान के नाम चढ़ाने के बदले मांगी गई थी घूस की रकम।
दो नम्बर की कमाई से एक नम्बर बनने की चाह ने पहुँचाया हवालात।
भ्रष्टाचार की रोकथाम हेतु हेल्पलाइन नम्बर 1064 पर मिली शिकायत में शिकायतकर्ता द्वारा बताया गया कि मेरे पिताजी द्वारा वर्ष 1991 में बंशीपुर ओर हर्बटपुर में 2 भूखण्ड खरीद किये थे। शिकायतकर्ता के पिता की मृत्यु 14 अगस्त 1996 को हो गयी थी पर दरख्वास्त देने के बाद भी जमीन अभी तक परिवार के सदस्यों के नाम नही हो पाई थी जिससे कि वारिसान के रूप में नाम दर्ज न हो पाया तो इसके लिए एक माह पूर्व शिकायतकर्ता द्वारा पटवारी ओमप्रकाश एटनबाग को एक प्रार्थनापत्र अपने बड़े भाई के नाम से सभी चाहे गए अन्य कागजातों समेत पटवारी ओमप्रकाश को दे दिए।
पटवारी ओमप्रकाश द्वारा जमीन के कागजों में वारिसानों के नाम दर्ज करने हेतु 10 हजार की मांग की जा रही थी। जिसका सज्ञान सतर्कता सेक्टर देहरादून श्रीमती रेणु लोहनी द्वारा शिकायतकर्ता के द्वारा दिए गए प्रार्थना पत्र में लगाये गए आरोपों की गोपनीय जांच करवाई गई। आरोप प्राथमिक आधार पर सही पाए गए तो एक त्वरित टीम का गठन करके पटवारी को रंगे हाथ घुस लेते पकड़ लिया गया।
कुछ भ्रष्ट कर्मियों ने यह प्रथा चायपानी के नाम पर आम कर ली है। सरकार को चाहिए की पब्लिक डीलिंग वाले विभागों के कर्मचारियों की सम्पत्ति की जांच निरन्तर होती रहे ओर जिस व्यक्ति से घुस रिश्वत माँगी जाती है वह 1064 नम्बर पर शिकायत दर्ज करवाये। दीमक की तरह समाज को बर्बाद कर रहे ऐसे लोगों की सम्पतियों पर बुलडोजर चलना चाहिए नही तो इस महीने ये रंगे हाथ घूस लेते पकड़े जाने की 3 खबर है। आखिर यह सिलसिला रुकेगा भी या नही देखतें हैं क्या ठोस नीति बनती है।