रामरतन पवांर/गढ़वाल ब्यूरो।
जनता की पुकार, सुनो सरकार।
त्यूंखर गांव मे आपदा के 6 माह बीत जाने के बाद भी क्षतिग्रस्त सम्पर्क मार्गो की नही ली कोई सुध।
जिलास्तरीय अधिकारियों सहित जनप्रतिनिधियों ने भी किया था त्यूंखर गाँव का दौरा, जनता को दे गये झूठा अश्वासन।
पैदल मार्ग पर सफर करते समय अटक जाती हैं सांसे
जखोली- आपदा में क्षतिग्रस्त हुआ ग्राम पंचायत त्यूंखर को जोड़ने वाला मार्ग
65 परिवारों को जोड़ने के साथ साथ भरदार पट्टी के कई गांवों को मिलता है मार्ग से लाभ।
रुद्रप्रयाग। विकासखण्ड जखोली के ग्राम पंचायत त्यूंखर को जोड़ने वाला पैदल मार्ग आपदा से क्षतिग्रस्त होने के छः माह बाद भी ठीक नहीं किया गया है, जो शासन प्रशासन की घोर लापरवाही को उजागर करता है। जिस कारण से आपदा से क्षतिग्रस्त मार्गों पर चलने हेतू ग्रामीण जनता को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। मालूम हो कि विगत बर्ष 24 सितंबर को त्यूंखर मे बादल फटने के कारण त्यूंखर गांव के खेन्जवा, आगर, मुडियाआगर ,खोपली , चेपच्वाड़ी, खरकोड़ा नामी तोक मे पैदल सम्पर्क मार्ग पूर्व रुप से क्षतिग्रस्त हो गये थे वही मुडिया आगर तोक में एक बड़ा हिस्सा ढहने के बाद बच्चों और बीमार लोगों को आने-जाने में दिक्कतें हो रही हैं। प्रशासन और क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों को अवगत कराने के बाद कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है।
बता दे आपदा के तुरन्त बाद जायजा लेने के मुख्य विकास अधिकारी सहित जिला प्रशासन की टीम भी पहुंची, जबकि क्षेत्रीय विधायक, जिलापंचायत अध्यक्ष, व प्रमुख सहित कई जनप्रतिनिधियों ने भी क्षेत्र का दौरा करके ग्रामीणों को आश्वास्त किया।
मगर लम्बा समय गुजर जाने के बाद भी ग्रामीणों की समस्याओं का समाधान नहीं हो पाया है, जबकि पैदल मार्ग को भी दुरूस्त नहीं किया जा रहा है। जिस कारण ग्रामीण जनता के साथ ही स्कूली बच्चों और मरीजों को आवागमन में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
वही पूर्व उपप्रधान शूरवीर सिंह राणा, साहब सिंह पंवार, बुद्धा देवी, विनीता देवी,सरत सिह, पवांर ने बताया कि क्षेत्र में आपदा को आये छः माह का समय बीत गया है।
आपदा में त्यूंखर गांव को जोड़ने वाला पैदल मार्ग मुडिया आगर तोक में ध्वस्त हो गया था, साथ ही त्यूंखर से चिरबटिया को जाने वाला मुख्य सम्पर्क मार्ग भी लगभग बीस मीटर तक क्षतिग्रस्त हो गया, खेन्जवा तोक मे ही बस्ती मे जाने वाला सम्पर्क मार्ग भी क्षतिग्रस्त पडा़ है जिस सम्बन्ध मे कई बार खण्डविकास अधिकारी को पुनः क्षतिग्रस्त मार्गो की मरोम्मत हेतू कहा गया लेकिन कोई कार्यवाही नही की गयी ।
ग्रामीणों ने कहा कि सबसे ज्यादा समस्या मरीजों को ले जाने में होती है। कभी-कभार तो हल्का सा पांव फिसलने पर सांसे अटक जाती है। ग्रामीणों ने कहा कि अब तक किसी भी स्तर से पैदल मार्ग की कोई कोई सुध नहीं ली गई है। ऐसे में दुर्घटना की संभावना बनी हुई है।
जिला प्रशासन की टीम ने आपदाग्रस्त क्षेत्र का निरीक्षण भी किया था। साथ ही क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि भी गांव में पहुंचे थे, लेकिन आज तक इस समस्या का हल नहीं हो पाया है। उन्होंने जल्द से जल्द पैदल मार्ग को दुरूस्त करने की मांग की है।


