आपदा के तीन माह बीत जाने के बावजूद भी क्षतिग्रस्त सम्पर्क मार्गों की जिला प्रशासन नही ली कोई सुध

विकासखंड जखोली के अन्तर्गत 24अगस्त 2022 को भारी अतिवृष्टि के चलते ग्राम पंचायत त्यूँखर, लुठियाग बुढ़ना, घरड़ा, मखेत गाँव मे भारी भूस्खलन हो
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  रामरतन सिह पवांर/गढ़वाल ब्यूरो।

आपदा के तीन माह बीत जाने  के बावजूद भी ग्राम पंचायत त्यूँखर मे क्षतिग्रस्त सम्पर्को की जिला प्रशासन नही ली कोई सुध।

क्षतिग्रस्त रास्तो को देखने अधिकारी तो दूर विकासखंड जखोली का जेई तक नही आया गांव तक।

जिलाधिकारी के निर्देशो को अधिकारियों ने बताया ठेंगा। नही किया जिलाधिकारी के निर्देशो का पालन।

जखोली- विकासखंड जखोली के अन्तर्गत 24अगस्त 2022 को भारी अतिवृष्टि के चलते ग्राम पंचायत त्यूँखर, लुठियाग बुढ़ना, घरड़ा, मखेत गाँव मे भारी भूस्खलन हो गया था।

      भूस्खलन के चलते कई परिवारों के खेत, खलिहान, आवासीय भवन सहित गाँवो मे सार्वजनिक रास्ते इसकी चपेट मे आ गये। इन गांवों मे अतिवृष्टि से भारी नुकसान की खबर सुनकर रुद्रप्रयाग जिले के जिलाधिकारी, मुख्यविकास अधिकारी, जिला,विकास अधिकारी, आपदा अधिकारी, उपजिलाधिकारी, तहसीलदार, पटवारी सहित लगभग सभी विभागीय अधिकारियों ने आननफानन मे गाँवो का दौंरा किया, और काश्तकारों के नुकसान की भरपाई हेतू कार्यवाही करने की बात कही, जिसमे कि कुछ काश्तकारों जिनकी कृर्षि भूमि, आवासीय भवनो व आँगनो को हुए नुकसान का मुआवजा तो उनकी जुबान बंद रखने हेतू तो दे दिया गया।

 मगर आपदा के तीन माह गुजर जाने के बावजूद भी आज दिन तक गाँवो मे आपदा से क्षतिग्रस्त सम्पर्क रास्ते की मरोम्मत जिला प्रशासन अभी तक नही कर पाया,  यहां तक की आपदा के बाद से नाही विकासखंड जखोली ना तो खंडविकास अधिकारी नाही जेई और नाही उपजिलाधिकारी व तहसीलदार फिर से आपदा पीड़ित गाँवो मे नही आये ताकि वो क्षतिग्रस्त सम्पर्क मार्गो का आंकलन तैयार करवा कर क्षतिग्रस्त रास्तो, पुलो की मरोम्मत करवा सके।

आपको  अवगत करा दे कि ग्राम पंचायत त्यूँखर मे तीन सम्पर्क मार्ग खेन्ज्वा नामी तोक एक सम्पर्क मार्ग चेपच्वाणी तोक और एक सम्पर्क मार्ग माथियाआगर नामी तोक मे लगभग 20-20 मीटर तक क्षतिग्रस्त हो रखे है।

आलम ये है कि इन टुटे रास्ते से ग्रामीण जान जोखिम मे डालकर आवागमन कर रहे है। लेकिन आज तक प्रशासन ने इन रास्तों को बनवाने की जुर्रत नही की।

      जबकि जिलाधिकारी रूद्रप्रयाग द्वारा बारिश एवं भूस्खलन से चलते गाँवो के रास्तों को मनरेगा के तहत मरोम्मत करने के निर्देश दिये गये थे लेकिन अधिकारियों ने जिलाधिकारी के निर्देशो को ठेंगा बताते हुए कुम्भकर्णी नींद मे सो गये और अभी तक नही नींद से नही जगे आखिर अब किस प्रकार से गहरी नींद मे सोये अधिकारियों को कौन जगाने आयेगा। 

    यही ही नही भूगर्भ वैज्ञानिक अधिकारी द्वारा आपदा क्षेत्र का भू-गर्भीय निरीक्षण करने के निर्देश भी दिये गये थे लेकिन त्यूँखर गांव मे भूगर्भ अधिकारी तो दूर की बात है मगर वहां एक भी इन्जीनियर तक देखने नही आया आखिर क्या इलाज है ऐसे जिला प्रशासन का।

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