पहाड़ की महिलाओं ने लहराया केदारनाथ यात्रा में अपना परचम।
महिलाओं ने समूहों के माध्यम से शुरू किया श्री केदारनाथधाम के लिए स्थानीय उत्पादों का प्रसाद तैयार।
एकीकृत आजीविका सहयोग परियोजना (आईएलएसपी) ने जिलाप्रशासन के सहयोग से शुरू किया था प्रसाद निर्माण का कार्य।
तकनीकी संस्था एशियन सोसायटी फ़ॉर एंटरप्रिन्योरशिप एजुकेशन एण्ड डेवलपमेंट के तकनीकी समन्वयकों ने परियोजना के सहयोग से बनी सहकारिताओं के सदस्यों को प्रशिक्षण दिलाकर प्रारम्भ करवाया था रामदाना से तैयार प्रसाद।
पहाड़ की सबसे बड़ी समस्या पलायन है और पलायन का मुख्य कारण रोजगार, स्वास्थ्य सविधाओं का अभाव, शिक्षण संस्थाओं का अभाव है जिसके चलते पलायन की विभीषिका से पहाड़ जूझ रहे हैं।
रोजगार की समस्या का मुख्य कारण पहाड़ के लोग व्यावसायिक न होकर नोकरी पेशे की तरफ अधिक ध्यान देतें हैं जिसके कारण यहां पर उद्योग धंधे भी स्थापित नही हो पाए और कोई ऐसी वेल्युचेंन नही बन पाई जिसके आधार पर स्वरोजगार के माध्यम से आय अर्जन हो सके।
यह सब देखते हुए अवसर की तलाश पूरी हुई और भगवान श्री केदारनाथ जी की यात्रा में प्रसाद के रूप में चोलाई (रामदाना) के लड्डू, पिंजरी, श्री त्रियुगीनारायण जी के कुण्ड से भभूत, सरस्वती जी का जल, विल्वपत्र, पटका ओर ATM पर भगवान के चिन्ह आदि का प्रसाद पैकेज तैयार किया गया। जिसको मन्दिर समिति के माध्यम से केदारनाथ धाम व हेलीपैडों तथा बड़े होटलों के माध्यम से तीर्थयात्रियों तक पहुंचाना मकसद था जिसकी कीमत 250 से प्रारम्भ थी।
इस काम को करने के लिए कच्चे माल की आपूर्ति सब स्थानीय समूहों की महिलाओं द्वारा की गई और उन पदार्थों को वेल्यू एडिट करके प्रसाद के रूप में तैयार किया गया जो कि विश्व प्रसिद्ध धाम श्री केदारनाथ जी के मंदिर का प्रसाद स्थापित हो पाया।
इस कार्य में तत्कालीन जिलाधिकारी श्री मंगलेश घिल्डियाल जी का अथक प्रयास ओर अपने पहाड़ के लिए कुछ नया करने की चाह ने आज महिला समूहों को व्यवसायिक बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।
श्री केदारनाथ यात्रा में इस वर्ष महिलाओं द्वारा प्रसाद का किया गया लगभग 44 लाख रुपये का कारोबार।
विश्वव्यापी कोरोना महामारी के कारण अर्थब्यवस्था के चौपट होने से साधारण जीवन जीना एक सपना से कम नही था। पहाड़ की महिलाएं पहाड़ जैसे हिम्मत रखने वाली है क्योंकि यहां पर अधिकतर लोग असंगठित क्षेत्रों में कामगार के तौर पर नोकरी करने के लिए पलायन कर गए जो कोरोनाकाल की विभीषिका में मजबूरन बिना किसी रोजगार के घर लौटे। यही कोरोनाकाल पहाड़ में व्यावसायिक विचारों को लाया और आज हुनरमंद हाथों ने कमान थामी ओर धीरे धीरे पहाड़ भी अपने व्यावसायिक कार्यों के लिए जाने पहचाने जाएंगे जिसकी शुरुवात हो चुकी है।
दिक्कत कहीं न कहीं अपने स्वार्थों को लेकर हो रही है जिस कारण केदारनाथ प्रसाद जिस विचार के साथ आगे बढ़ा था वह विचार सीमित हाथों की कठपुतली बन गया और यह प्रसाद का कारोबार सीमित लोगों तक ही सीमित हो गया।
जहां एक तरफ पिछले यात्रा के रिकॉर्ड टूटे वही दूसरी तरफ सर्फ 100 महिलाओं द्वारा प्रसाद तैयार करना यह कितना तर्कपूर्ण जबाब है यह जिला प्रशासन के लिए विचारणीय सवाल है।
प्रधानमंत्री मोदी जी का सपना सशक्त भारत - समृद्ध भारत की विचारधारा है और इस विचारधारा के कारण कई स्टार्टअप भारत में शुरू हुए हैं जो औद्योगिक क्रांति को लाने में सहायक हुए हैं।
महिलाओं ने अपनी पहचान विश्वस्तर पर अपने हुनर से बनाई हैं।। पहाड़ की महिलाओं ने अपना योगदान पहाड़ को बचाये रखने में जिस तरह दिया है उसका कोई मूल्य नही है अनमोल है हम इनके कार्यों को ईमानदारी से आगे बढ़ाएं ओर इनके व्यावसायिक हितों में बिचौलिया बनने की परंपरा को समाप्त कर दें यह पहाड़ की महिलाओं के प्रति हमारा सबसे बड़ा सम्मान होगा वह मजबूत हैं अडिग हैं और रहेगीं।