सरकार अग्निवीर भर्ती परीक्षा के नियमों के कारण एक होनहार युवा की आत्महत्या कुछ कह रही है

अग्निवीर योजना में पहली बार उत्तराखंड में भर्ती कब शुरू हुई, अग्निवीर भर्ती पर क्या सवाल खड़े हुए, क्या क्या समस्याएं अग्निवीर भर्ती में युवाओं को आई,
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 सरकार अग्निवीर भर्ती परीक्षा के नियमों के कारण एक होनहार युवा की आत्महत्या कुछ कह रही है !


गढ़वाल सैनिक बाहुल्य क्षेत्र है और यहां के प्रत्येक गांव से सबसे ज्यादा अगर किसी सेवा में है तो वो है सेना। सैनिक पृष्ठ भूमि होने के कारण गढ़वाल के युवा अधिकतर सेना में भर्ती होने के लिए जी तोड़ मेहनत करते हैं और सेना ही उनका लक्ष्य होता है।

      केंद्र सरकार ने 14 जून 2022 को इस योजना की घोषणा की थी। इसके तहत चार साल के कार्यकाल के लिए सैनिकों को सेना, नौसेना और वायुसेना में भर्ती किया जाएगा, उन्हें पेंशन का लाभ नहीं मिलेगा।

इस योजना के तहत उत्तराखंड के गढ़वाल में दिनांक 19 अगस्त ओर कुमायूं में 20 अगस्त 2022 से  भर्ती प्रक्रिया शुरू हो गयी थी जिसमें युवाओं द्वारा बड़े उत्साह से भाग लिया था। बीच मे एक खबर चली थी कैसे होंगे युवा भर्ती बिना प्रमाणपत्रों के तो शायद कुछ युवाओं के प्रमाणपत्र समय से आवेदन न करने के कारण उनके प्रमाणपत्र नही बन पाए होंगे तो कुछ युवाओं के सपने प्रमाणपत्रों के अभाव में टूटे ओर रही सही कसर शारीरिक परीक्षण जिसमें पहाड़ी क्षेत्र के अभ्यर्थियों को ऊंचाई में छूट मिलती थी वह अग्निवीर योजना की भर्ती में नही मिली। ऊंचाई में छूट न मिलने के कारण बहुत से अभ्यर्थी बाहर हो गए। अब रही सजी कसर युवाओं को दौड़ाने के बाद पूरी हुई और जिसका परिणाम सभी के लिए चर्चा का विषय बन गया है।

अग्निवीर भर्ती की जांच के लिए माननीय सतपाल महाराज जी द्वारा रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट से फोन पर बात करके कहा और भर्ती में आ रही परेशानियों से अवगत कराया।

 इस खबर को हिमालय की आवाज न्यूज पोर्टल ने -

अग्निवीर भर्ती को लेकर केबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने उठाये सवालशीर्षक से प्रकाशित किया था।

इस अग्निवीर भर्ती ने कई परिवारों की अग्नि परीक्षा ली और सबसे बड़ी परीक्षा पौड़ी गढ़वाल के विकासखण्ड एकेश्वर के नोगावँ कमांद के श्री ताजवर सिंह की ली जिनका बेटा भर्ती होने कोटद्वार गया था और सफल न होने पर आत्महत्या जैसा कदम उठाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर दी क्या यह विचारणीय प्रश्न नही है कि युवाओं को जिस तरह सपने दिखाये गए थे वह सपने ही थे हकीकत तो भर्ती मैदान में नियमों ने बताया कि असली अग्निवीर बनने के लिए अगला जन्म लेना पड़ेगा।

जबकि इसी युवा के उत्तराखण्ड पुलिस की जो भर्ती हुई थी हाल में ही उसमें 96 अंक थे। तो क्या सिस्टम ने इस होनहार युवा की जान ली यदि सिस्टम सही है तो उत्तराखण्ड पुलिस में 96 प्रतिशत अंक आने के बाद भी वह युवा अयोग्य कैसे हुआ।

अब यहां पर सवाल उठता है जब इस युवा के द्वारा कठिन परिश्रम और लगन से अपने कौशल का परिचय देकर 96 प्रतिशत अंक शारीरिक परीक्षा में पाए जो भर्ती होने की संभावना को 99 प्रतिशत तक ले जाता है। उत्तराखंड पुलिस में भर्ती होने की संभावना के बाद भी आत्महत्या जैसे कदम क्यों उठाये।

इसका जबाब है युवाओं का भारतीय सेना में भर्ती होने का सपना। सेना में भर्ती होने का सपना अपने कौशल को न दिखा पाने का गम ही इतनी बड़ी घटना कर गया।

जब बच्चे भर्ती स्थल से बाहर निकल रहे थे तो मायूसी ओर एक अलग सी खीज थी उनके मन में क्या कहा गया और क्या किया गया। बड़े बड़े बयान जारी किए गए थे अग्निवीर योजना के लिए पर इन युवाओं के मनोमस्तिष्क में भर्ती परीक्षा में शामिल होने के बाद जो चल रहा है वह युवाओं को हतोत्साहित न कर पाए उनका मनोबल न गिरने पाए के लिए सरकार से आग्रह है कि इस भर्ती के तुरंत बाद एक और बड़ी भर्ती शुरु कराये ताकि कोई युवा अमित जैसे कदम न उठाये। सरकार जल्दी कुछ निर्णय ले वरना इन युवाओं का गुस्सा नही थाम पाएगी।

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