योगी का अपनी माँ से मिलना राजनैतिक भोगियों के भविष्य पर रोलर चला

उत्तरप्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ अपनी मां से मिलने पंचुर पहुंचे,
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योगी आदित्यनाथ का माँ से मिलना राजनैतिक भोगियों के भविष्य पर रोलर चलना सुनिश्चित है।

 कोई अपनी माँ के मिलेगा यह देश और दुनिया की मिडिया के लिए सबसे बड़ी खबर होगी कि  आज अक्षय तृतीया के दिन योगी आदित्यनाथ महाराज जी अपनी माँ से मिलने पंचूर गावं पहुंच गए हैं। एक मध्यम वर्गीय परिवार जिसमें की महाराज की बूढी माँ रहती हैं उनको मिलने आज अक्षय तृतीया  विशेष दिन पर आएं। इस दिन के लिए कहा जाता है की  कभी न टूटने वाला दिन  है। 

आज मीडिया के कैमरे पौड़ी गढ़वाल के पंचूर गावं में पहुंच गए हैं और उस क्षण को कवरेज करने के लिए जब योगी  अपनी माँ से मिलेंगे। अपनी माँ से मिलने की खबर इतनी बड़ी  क्यों बन गयी आईये इसे विस्तार से  जानते हैं। 

भारत के सबसे बड़े सूबे के मुख्यमंत्री आज अपनी माँ से मिलेंगे।  भारत का एक राजयोगी आज अपनी माँ से मिलने जा रहें हैं इस बात के क्या मायने हैं क्यों योगी के अपनी मां से मिलने पर विरोधियों की छाती में सांप लौटने लगेंगे। क्यों योगी आज राजनैतिक भोगियों की भावनाओं पर अपना बुलडोजर चलाएंगे यह समझने की बात है। 

 अबतक उन्होंने दंगाइयों, आततायियों, गुण्डें, चोर, लुटेरों, भूमाफियायियों, बेईमानों की छाती पर बुलडोजर चलाया है इनके हाथ से उनकी अवैध कमाई को छीनकर अपने प्रदेश को खुशहाल बनाया है।  उस प्रदेश को सकून की जिंदगी दी है जिस प्रदेश के लिए उपमाएं दी जाती थी की उत्तरप्रदेश बीमारू राज्य, लुटेरों का राज्य, माफ़ियायियों का राज्य, बदमाशों का राज्य, दंगाईयों का राज्य आदि उपाधियों से नवाजा जाता था उस राज्य में योगी  बनने के छः साल बाद आज भारत के सभी राज्यों में पहला स्थान उसी राज्य का है जिसे यह उपाधियाँ दी जाती थी।  

  भारत के सभी राज्यों के लोग  कि हमारे राज्य  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तरह काम करे यह काम सिर्फ एक योगी ही कर सकता है जिसे देखकर राज्य के  बदमाशों खौफ खाने लग गए हैं इसे ही सत्ता का इकबाल  कहा जाता है। 

देखने वाली बात है यह है कि जो राज ठाकरे यूपी के लोगों को महाराष्ट्र में भईया बोलकर चिढ़ाते थे वही राज ठाकरे आज महाराष्ट्र सरकार को यूपी की कामयाबी और योगी के शासन की दुहाई दे रहें हैं कि यूपी देश में सबसे आगे कैसे हुआ अपने सत्ता के इकबाल का सही अर्थों में योगी ने प्रयोग किया है। जिसका असर आज उत्तरप्रदेश को देखकर साफ़ दिखने लगा है की यूपी के लोगों ने योगी को फिर से क्यों चुना है ।

आज उत्तरप्रदेश के मुखिया अपनी माँ से मिलने पौड़ी गढ़वाल के पंचूर गावं में पहुंच गए हैं। उत्तराखंड उनकी जन्मभूमि है और उत्तराखंड में महाराज जी राजकीय अतिथि हैं इस कारण आज उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी उनकी अगुवाई करते हुए दिनभर योगी जी के साथ रहे और अभी भी उनके घर मे हैं।  भारत का हर मुख्यमंत्री चाहता है की योगी के साथ एक फ्रेम में आकर अपनी तस्वीर को तैयार करवा सके। 

   जो योगी अपने पूर्वाश्रम के पिता के देहावसान पर उनकी अन्त्येष्टि तक मेें न गया हो। वह योगी जो सन्यास धारण करने के बाद अपनी मां से मिलने न गया हो। जब योगी जी के पूर्वाश्रम के पिताा का देहावसान हुआ था उस समय कोरोनाकाल के चलते समस्त विश्व कोरोना जैसी महामारी से जूझ रहा था यह सवाल पूछने पर योगी ने भावुक होकर कहा था कि वह मेरे पूर्वाश्रम के पिता हैं ओर मैने राजधर्म की शपथ ली न कि परिवारधर्म की शपथ। 

  योगी का भावुक होकर कहना उनके अन्दर उस ऋण की झलक है जो कि मातृ और पितृ ऋण के नाम से जानी जाती हैं। यही ऋण सनातन सस्कृति में ऐसी माने जाते हैं जिनसे कि मनुष्य कभी भी उऋण नही हो सकता है।

    यहां पर गौर करने वाली बात ये है कि योगी अन्त समय में भी अपने पिताजी के दर्शन नही कर पाये लेकिन अपनी मां से मिलने उस घर में पहुंचे जिस घर में उनकी बूढी मां है। इसका कारण यह है कि आदि गुरू शंकर भी अपनी मां से मिलने के लिए गए थे। यह बात यही दर्शाती है कि मातृ ऋण से उऋण कभी नहीं हुआ जा सकता है। इसी कारण योगी भी अपनी मां से मिलने के लिए आ गए।

आपने बहुत बार ऐसे उदाहरण देखें होगें जब परिवार का कोई सदस्य अधिकारी बन जाता है तो उसके परिवारजनों के द्वारा अपनी कम्पनियां बनाकर उस विभाग के सप्लायर और ठेकेदार बन जाते हैं। कोई परिवार का सदस्य जब गांव का मुखिया बन जाता है ता्रे उस गांव की सभी योजनाओं को अपने हित में लगा देता है। जब कोई विधायक या सांसद बन जाता है तो उस विधानसभा क्षेत्र में उनके कार्यकर्ताओं और परिजनों के अथाह साम्राज्य खड़े हो जाते हैं। इसका उदाहरण एक पहलवान प्राथमिक विद्यालय का शिक्षक होकर राजनीति में गरीब और जातिवादी नशे के बीज बोेकर उस प्रदेश का मुखिया बन जाता है। अपने परिजनों को खुली छूट देता है और परिजन भी उसके कन्धे पर चढकर विधायक, सांसद, राज्यसभा सदस्य, जिलापंचायत अध्यक्ष कोई भी बड़ा ऐसा ओहदा नही रहा जिस पर कि मुलायम सिंह के परिवार वाले न रहे हों यही बिहार में लालू प्रसाद यादव ने किया बहुत से उदाहरण सभी को पता हैं।

गरीबी और जातिवाद का नशा बेचकर पूरे प्रदेश को लूट का अडडा बनाकर सुप्रीम कोर्ट में मुलायम सिंह के खिलाफ 100 करोड़ का मामला जाता है पर अभीतक कोई सुनवाई नही होती है जिससे कि नेता जी के साम्राज्य को अकूत बनने से कोई नही रोक पाया।

एक चपरासी के घर में गुजर बसर करने वाला लालू प्रसाद एक गरीब प्रान्त का मुख्यमंत्री बनकर अपना करोड़ों का साम्राराज्य गरीबी का नशा बेचते बेचते खड़ा कर देता है। गौर करने वाली बात है कि जिस लालू के नवीं ओर दसवीं फेल बेटों के साथ साथ उनकी बेटियों के भी करोड़ों के साम्राराज्य है वह लालू हमेशा गरीबी की बात करके राजनीति करते आये।

दक्षिण में करूणानिधि परिवार के बारे में सब जानते हैं एक व्यक्ति फिल्मों में काम करने के बाद शुचिता के नाम पर राजनीति में आता है और अपने पूरे कुनबे के साथ करोड़ों का साम्रराज्य खड़ा कर देता है। पंजाब में बादल परिवार का साम्राज्य हरियाणा में चौटाला परिवार का साम्राज्य आप किस किस राज्य की बात करेगे किसी न किसी समय में ऐसे उदाहरण देखने को मिले है।

इसका मतलब ये नहीं है की आप मुलायम सिंह, लालू प्रसाद को गाली दे दीजिये। मध्य प्रदेश में देखिये परिवारवाद का नशा, राजस्थान में देखिये अपने बेटे को जितवाने के चक्कर में पूरी कांग्रेस पार्टी के हाल बुरे कर दिए। मध्यप्रदेश में कमलनाथ ने अपने बेटे नकुलनाथ के लिए पूरी पार्टी की ऊर्जा का नाश कर दिया।

आमतौर पर देखा जाता है कि भाई और बहन में आपस मे कोई ईर्ष्या नही होती है। वही बात योगी जी और योगी जी बहिन में देखने को मिलती है जैसे जीवन योगी जी की बहिन बिता रही हैं और कोई लोभ नही है कि मेरा भाई देश के सबसे बड़े सूबे के मुख्यमंत्री है वह हमेशा कहती आयी हैं कि महाराज जी जिस तरह से यूपी को सँवार रहें हैं उसी तरह से निरंतर काम करके यूपी को सँवारतें रहें उनकी माँ को भी कोई लोभ लालसा नही है जैसे योगी जी को नही वेसे ही उनके परिवार को भी कोई लोभ लालसा नही है।

अब समझने वाली बात यह है कि जिस योगी को लोगों ने जाति में बांटा वह राजपूत है, वह क्षत्रिय है, वह ब्राह्मणों का हत्यारा है, वह अन्य धर्मों के लिए काल है वही योगी आज सितारा बनके जनता की नजरों में हीरो बन गया।

जो अपनी जाति को छुपाकर पत्रकारिता भाई भतीजावाद फैलाते हैं उनके मुख पर यह तमाचा है।

यह आज दुनिया देखेगी की जिस योगी को यूपी की जनता ने अपने सर आंखों पर बिठाया जो सबसे बड़े राज्य का मुखिया है उसका पूर्वाश्रम का परिवार इतनी साधारण जिंदगी कैसे जी रहा है।

आज विरोधियों के मुख पर तमांचा ओर उनकी भावनाओं पर बुलडोजर चलना स्वभाविक है

एक खबर आ रही है कि आज राजस्थान में ईद के मौके पर दंगा हुआ यही दंगा पीड़ित राज्य यूपी था लेकिन सत्ता के इकबाल ने यह सब यूपी में नही होने दिया और बाबा जी ने आज साफ सन्देश दे दिया है कि में यूपी में नही हूँ फिर भी कोई दंगा करने की हिम्मत नही करेगा।






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