शोध एवं नवाचार योजना के अन्तर्गत महाविद्यालय जखोली मे बागवानी, जैविक कृषि पर किया गया एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन

शोध एवं नवाचार योजना के अन्तर्गत महाविद्यालय जखोली मे बागवानी, जैविक कृषि पर किया गया एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन
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 रामरतन सिह पवांर/गढ़वाल ब्यूरो--


शोध एवं नवाचार योजना के अन्तर्गत महाविद्यालय जखोली मे बागवानी, जैविक कृषि पर किया गया एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन।



  जखोली- राजकीय महाविद्यालय जखोली मे 25  मार्च शुक्रवार को राजकीय महाविद्यालय जखोली जनपद रुद्रप्रयाग में शोध एवं विकास नवाचार योजना के अंतर्गत एक दिवसीय कार्यशाला विषय बागवानी जैविक कृषि पर आयोजित की गई जिसमें महाविद्यालय की प्राचार्य एवं संरक्षिका डॉ कु.माधुरी ने इस कार्यक्रम की अध्यक्षता की इस कार्यक्रम में  बतौर मुख्य अतिथि  नारायण सिंह बुटोला मौजूदा रहे। 

    कार्यक्रम के नोडल अधिकारी कॉलेज के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ देवेश चंद्र  ने  कार्यक्रम का संचालन किया । इस कार्यक्रम में प्रशिक्षण टीम के  महावीर सिंह राणा जी ने बागवानी जैविक कृषि के महत्व को रेखांकित करते हुए भूमि की उर्वरता के महत्व उर्वरता की कमी के कारण कृषि में उत्पन्न होने वाले दुष्परिणामों पर प्रकाश डालते हुए छात्र छात्राओं को प्रशिक्षण दिया । कृषि में रासायनिक कीटनाशकों के प्रयोग से भूमि की उर्वरता को समाप्त होने का प्रमुख कारण बताया गया। गोबर गैस प्लांट, गाय पालन, जीरो बजट कृषि का प्रचार प्रसार करना भी महत्वपूर्ण है। नील हरित शैवाल एंजोला खाद जो भूमि के लिए प्रोटीन उत्पन्न करता है  इस विषय पर भी उन्होंने अपने विचार रखे । बागवानी जैविक कृषि से स्वच्छ अन्न, स्वच्छ दूध, सब्जी एवं फल प्राप्त होते हैं । 

     जनपद रुद्रप्रयाग में कीवी माल्टा पोलम पुष्प उत्पादन संतरा सेब आदि के जैविक उत्पादन की जानकारी एवं प्रशिक्षण भी छात्रों को प्रदान किया गया । महाविद्यालय वाटिका के लिए भी उन्होंने छात्रों का आह्वान किया ।

प्रशिक्षण टीम के  लक्ष्मण सिंह सजवान  ने जैविक कृषि के ना होने के कारण शरीर पर पड़ने वाले कुप्रभावों का वर्णन किया । समाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक एवं पर्यावरणीय दृष्टि से समृद्ध होते हुए भी हम जैविक कृषि में पिछड़ गए हैं जिसका कारण युवाओं का पलायन बताया । 

  इसके साथ साथ उन्होंने शिक्षा को आत्मसात करने की बातों पर भी बल दिया । शिक्षा के द्वारा ही सामाजिक परिवर्तन किया जा सकता है जैविक बागवानी कृषि शुद्ध विज्ञान है किसी में बड़ी-बड़ी डिग्रियों की आवश्यकता नहीं होती वैज्ञानिक सूजबूज की आवश्यकता होती है वैज्ञानिक सोच समझकर आवश्यकता होती है इस बात को उन्होंने महत्वपूर्ण रूप से प्रशिक्षणार्थियों को बताया।

      महावीर सिंह, जगमोहन  जो इस टीम के प्रशिक्षण के रुप मे उपस्थित थे उन्होंने मनुष्य की मनुष्यता के महत्व को रेखांकित करते हुए बागवानी जैविक कृषि के महत्व को रेखांकित किया और छात्र छात्राओं को प्रशिक्षण प्रदान किया । 

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि  नारायण सिंह बुटोला जी ने सभी को अपनी शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए जैविक बागवानी कृषि पर अपने विचार व्यक्त किए कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ देवेश चंद्र जी ने उत्तराखंड में बागवानी जैविक कृषि के महत्व को रेखांकित किया इसकी इसी के साथ-साथ कार्यक्रम की अध्यक्षा महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ कु. माधुरी   को अपनी शुभकामनाएं प्रेषित की एवं इस बात का विश्वास जताया कि निश्चित रूप से ही इस कार्यशाला से हमारे छात्र छात्रा और प्रशिक्षणार्थी बहुत कुछ सीखेंगे और आने वाले जीवन में उसका भरपूर रूप से प्रयोग करेंगे इस अवसर पर महाविद्यालय के डॉ. नंद लाल, डॉ. बबीतकुमार विहान, डॉ. सुभाष कुमार, डॉ. भारती, डॉक्टर विकास शुक्ला, डॉ. दिलीप, पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष कुलदीप सिंह भारती, पूर्व ग्राम प्रधान मखेत श्री असाड सिंह राणा  सहित महाविद्यालय के छात्र-छात्राएं मौजूद थे।

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