रामरतन पंवार/ जखोली
चुनाव सर्वे -विधानसभा चुनाव 2022 में किस दल के प्रत्याशी के सिर सजेगा ताज में कांग्रेस पार्टी मतदाताओं की पहली पसंद।
अनंत हिमालय द्वारा रुद्रप्रयाग विधानसभा शीट के लिए सामान्य निर्वाचन विधानसभा 2022 चुनाव के लिए रुद्रप्रयाग विधानसभा में किस दल के प्रत्याशी के सिर पर सजेगा विधायक का ताज विषय पर किए गये सर्वे में लोगों ने अपनी राय दी।
9 नवम्बर 2000 में उत्तराखंड राज्य का गठन हुआ। प्रथम विधानसभा चुनाव में भाजपा के मातबर सिंह कंडारी विधानसभा पहुंचे थे। वहीं वर्ष 2007 में भी भाजपा के मातबर सिंह कंडारी ही विधायक चुने गए थे व नारायण दत्त तिवारी की सरकार में मातबर सिंह कंडारी नेता प्रतिपक्ष रहे व खंडूरी सरकार में वह सिंचाई मंत्री रहे। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने फिर से मातबर सिंह कंडारी को ही चुनावी मैदान में उतारा वहीं कांग्रेस ने वरिष्ठ नेता डॉ. हरक सिंह रावत को रुद्रप्रयाग विधानसभा से चुनाव मैदान में उतारा। कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. हरक सिंह रावत ने मातबर सिंह कंडारी को काफी बड़े अंतर से इस चुनाव में पराजित किया। इस तरह कांग्रेस ने वर्षों से रुद्रप्रयाग विधानसभा पर भाजपा की बादशाहत को समाप्त कर दिया था। रुद्रप्रयाग विधानसभा सीट 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने तत्कालीन रुद्रप्रयाग की जिला पंचायत अध्यक्ष लक्ष्मी राणा पर दांव खेला था जबकि भाजपा ने भरत सिंह चौधरी पर और भाजपा ने फिर से रुद्रप्रयाग विधानसभा सीट पर अपना वर्चस्व बनाया।
रुद्रप्रयाग विधानसभा से जितने के बाद हरक सिंह तत्कालीन हरीश रावत सरकार में मंत्री रहे ओर हरीश रावत सरकार गिराने में हरक सिंह रावत का अहम योगदान माना जाता है। 2017 में राजनैतिक समीकरण पूरी तरह से बदल गए और तत्कालीन भाजपा सरकार में मंत्री और विधायक रहे मातबर सिंह कण्डारी कांग्रेस में चले गए और भरत सिंह चौधरी कांग्रेस से भाजपा में आ गए ओर 2017 का दावँ भाजपा ने भरत सिंह चौधरी तथा कांग्रेस ने लक्ष्मी राणा पर खेल दिया जिसमें भरत सिंह चौधरी विजयी हुए थे।
विधान सभा चुनाव 2022 के सर्वे परिणामो को देखे तो कांग्रेस पार्टी को 47%, भारतीय जनता पार्टी को 31%, आम आदमी पार्टी को 10%, उत्तराखंड क्रांति दल को 8%, निर्दलीय को 2 % व नोटा पर 3% लोगों ने वोट किया है।
अब सवाल उठता है कि क्यो भाजपा का वोट प्रतिशत कम हुआ तो इसके लिए समीक्षाकारों द्वारा जनता की भावनाओं पर खरा न उतरना ओर संगठन को साथ लेकर न चलना सबसे बड़ा कारण माना है।
समीक्षा-
अब इस बार के चुनाव के मुद्दे जो हर बार मुद्दे ही रह जाते हैं आखिर वह बड़े मुद्दे क्या है।
1-पट्टी बड़मा के दिगदार मे स्वीकृत सैनिक स्कूल का मामला व निमार्ण कार्य अभी तक अधूरा तथा लाखो रूपये के घोटाला होने की बात सामने आयी तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिह रावत के निरीक्षण के दौरान कोई कार्यवाही नही।
2-चिरबटिया मे स्वीकृत कृर्षि महाविद्यालय बर्ष 2015 से निर्माणाधीन है उस भवन को भाजपा सरकार अपने कार्यकाल मे पूरा करवाने मे असमर्थ रही।
जिसमे कि क्षेत्रीय विधायक की भी घोर लापरवाही रही और भवन निर्माण का कार्य आधा अधूरा ही रह गया।
3-चिरबटिया मे 30 बर्षों से संचालित हो रहे राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान क़ो बंद किया गया, भले ही तीन साल बाद पुनः खोला तो गया मगर जनता के आन्दोलन के दबाव के चलते मजबूरन सरकार को खोलना पड़ा। वो भी बिना स्टाफ के चल रहा है।
4-महाविद्यालय जखोली मे एम ए फैकल्टी खोले जाने सहित महाविद्यालय मे अन्य अधूरे कार्यो को पूर्ण किये जाने की घोषणा जस की तस रह गयी।
5- बांगर की जनता द्वारा बरसीर -बधाणी तक मोटर को हाटमिक्स किये जाने की मांग वर्षो से करती आ रही है, क्योंकि मोटर मार्ग की स्थिति दयनीय बनी हुई है, जिसके लिए जनता ने आमरण अनशन व आन्दोलन भी किया लेकिन सरकार सरकार व क्षेत्रीय विधायक द्वारा आश्वासन के सिवाय जनता को कुछ नही मिला।
6-जखोली सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र की स्थिति आज भी जस की तस बनी है लेकिन डबल इजंन की सरकार मे स्वास्थ्य सुविधा मे कोई ठोस सुधार नही हुआ।
7-पश्चिम भरदार मे अभी तक पेयजल योजना पर कार्य पूर्ण न होना। आदि जनता की मूलभूत की ज्वलन्त समस्या जुड़ी है
जिनक समस्याओं का इन पाँच सालो मे कोई समाधान नही हुआ
जिसकी दोषी क्षेत्रीय विधायक या सरकार को जनता मान रही है।