14 वर्ष वनवास के बाद प्रभु राम का राजतिलक।
राजतिलक के बाद प्रभु राम और हनुमान का संवाद देख दर्शकों के आंखों में आंसू।
चलत मोहि चूड़ामनि दीन्ही। रघुपति हृदयँ लाइ सोइ लीन्ही।।
नाथ जुगल लोचन भरि बारी। बचन कहे कछु जनककुमारी।।
अनुज समेत गहेहु चरना। दीन बंधु प्रनतारति हरना।।
मन क्रम बचन चरन अनुरागी। केहिं अपराध नाथ होँ त्यागी।।
अवगुन एक मोर मैं माना। बिछुरत प्रान न कीन्ह पयाना।।
नाथ सो नयनन्हि को अपराधा। निसरत प्रान करहिं हठि बाधा।।
जनपद रुद्रप्रयाग, विकासखण्ड जखोली के ग्राम सभा कोठियाड़ा मे 14वें वर्ष रामलीला आयोजन के बाद गाय दान और भंडारे के साथ कार्यक्रम का समापन।
गावँ में निकाली गई शोभायात्रा, श्रीराम का किया गया राजतिलक
भरत वनवासी वेश में राजसिंहासन राम की चरण पादुका रखकर अयोध्या का दायित्व संभालते हुए राम लक्ष्मण सीता की बाट जोहते हैं। राम के अयोध्या आने में देर होने पर जीवित नहीं रह पाएंगे। निर्धारित समय भीतर राम, लक्ष्मण, सीता, हनुमान, सुग्रीव, अयोध्या पहुंचे। भरत को राम के गले मिलते ही दर्शकों की आंखें भर आईं। गुरु वरिष्ठ की मौजूदगी में राम का राजतिलक किया गया।
रामलीला में लंका पर विजय प्राप्त करने के बाद भगवान राम के अयोध्या लौटने पर नगर में भव्य शोभायात्रा निकाली गई, जिसमें राम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान के रूप में सजे कलाकार शामिल हुए। सीता, भगवान राम को राजसिंहासन पर बैठते ही जयकारे लगे और आरती की गई। वहीं, रामलीला मंच पर हवन तथा गायदान एवं प्रसाद वितरण के साथ रामलीला का समापन किया गया।
इस मौके पर रामलीला कमेटी के अध्यक्ष ज्ञान प्रकाश कोठारी, कोषाध्यक्ष सुनील कोठारी, सचिव भुवनेश्वर कोठारी, श्री राजेश कोठारी, कोटेश्वर महादेव मन्दिर समिति के अध्यक्ष श्री विजेंद्र प्रसाद कोठारी, श्री सीताराम कोठारी, श्री दिनेश कोठारी, श्री बृजमोहन गौदियाल, श्री दीपक कोठारी, श्री बंशीलाल, महिला मंगल दल अध्यक्ष श्रीमती अनिता कोठारी सहित क्षेत्र की संभ्रांत जनता उपस्थित रही।