केदारनाथ उपचुनाव में किसका हो सकता है सिंहासन

केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव में किसकी जीत पक्की,
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 हिमालय की आवाज़-

क्या मनोज रावत अयोध्या ओर बद्रीनाथ की सीट पर भाजपा को मिली हार की हैट्रिक पूरी करने में कामयाब हो पाएंगे।

भाजपा के द्वारा केदारनाथ सीट पर आशा पर आश रखना ओर प्रमुख धार्मिक स्थलों जिसमें अयोध्या ओर केदारनाथ से जुड़ी बदरीनाथ की सीट पर भाजपा को मिली हार को केदारनाथ सीट को जीतकर इस मिथक को तोड़ पाएगी।

आज केदारनाथ उप चुनाव हेतु 5 प्रत्याशियों के द्वारा नामांकन पत्र दाखिल किये है। भाजपा  से आशा नोटियाल, कांग्रेस से मनोज रावत, यूकेडी से डॉ0 आशुतोष भंडारी, निर्दलीय उम्मीदवार त्रिभुवन सिंह चौहान और पीपीआई डेमोक्रेटिक पार्टी से पी के  रूडीयाल ने आज ऊखीमठ तहसील में अपना नामांकन पत्र जमा किये।

चुनावी मुद्दे देखे तो भाजपा का डबल इंजन की सरकार, विकास की घोषणाओं का प्रमुख रूप से केदार घाटी के विकास के लिए होना ओर स्थानीय समस्याओं को प्रमुखता से मुख्यमंत्री की घोषणाओं में शामिल करना, भाजपा के कार्यकर्ताओं का संगठन से जुड़ाव ओर मतदाताओं के बीच लगातार सम्पर्क आदि मुद्दे हैं।

कांग्रेस पार्टी द्वारा केदारनाथधाम को दिल्ली में शिफ्ट करना, केदारनाथधाम की यात्रा को प्रभावित करने से बेरोजगारी ओर यात्रा से अपना रोजगार चलाने वालों को भगवान भरोसे छोड़ने, होटल/ स्वामियों ओर घोड़े खच्चरों के मालिकों के कारोबार ठप्प होने से फैला अन्तोष ओर भाजपा का अयोध्या के साथ बद्रीनाथ सीट पर हारना इस बार केदारनाथ की  शीट पर भी हारना निश्चित है कि धारणा को लेकर कांग्रेस की जीत को सुनिश्चित बता रहे।

यूकेडी के द्वारा भू कानून,  अंकिता हत्याकाण्ड, बेरोजगारी, मूलभूत सुविधाओं के न होने से हो रहा पलायन आदि मुद्दों को प्रमुखता से जनता के सामने रखकर वोट मांगने की बात कही है। यूकेडी को जिस तरह लोग पहले दिल से चाहते थे लगभग हर दिल मे यूकेडी का राज था वो क्या कारण थे जो यूकेडी सबसे आखिर पायदान में चली गयी यह यूकेडी के पदाधिकारियों को समझना होगा।

निर्दलीय प्रत्याशी त्रिभुवन सिंह चौहान के द्वारा केदारनाथधाम में डबल इंजन की सरकार की नाकामयाबी से यात्रा व्यवसाय का ठप्प होना, हकहकूक धारियों  को मुआवजा न मिलना न जमीन आवंटन होना, अस्पताल, बिजली, पानी, शिक्षा, सड़क आदि के कारण हो रही भुखमरी ओर बेरोजगारी के साथ मजबूत भू कानून को मुद्दा बनाया जाएगा की बात कही जा रही है। 

यदि तमाम मुद्दों को देखें तो मुद्दे जमीन से जुड़े हुए हो या नही पर जनता के बीच सबसे ज्यादा कोन गया ओर उनकी बात किसने सुनी और निराकरण कितना हुआ यह मायने रखता है। शायद यह बात भाजपा ओर निर्दलीय उम्मीदवार त्रिभुवन चौहान के लिए अधिक फायदा वाली होगी।

केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव में जहां भाजपा को अयोध्या ओर बदरीनाथ की शीट पर हार का दबाब केदारनाथ शीट पर हो रहे चुनाव के परिणाम के आशातीत रहने को लेकर एक धारणा बनी है वही कांग्रेस के लिए यह चुनाव मनोबल बढ़ाने के लिए अच्छा साधन होगा।

निर्दलीय उम्मीदवार के लिए यदि अवसर की बात करें जो जिस तरह से प्रखरता से अपनी बात जनता के बीच उनके मुद्दे उठाकर   रखी गई है वह मतदान के समय मत में बदलते  हैं तो यह ऐतिहासिक हो सकता है। मतदाताओं के द्वारा बड़े चुनाव में मुद्दों को देखा जाता है न कि जातिगत समीकरणों को ऐसे होता तो भाजपा पूरे देश में एक समय पर 2 शीट पर थी और आज की स्थिति सबसे अच्छी है वही कांग्रेस जो अर्श से फर्श तक का सफर तय कर गयी इसका कारण राजनीति के धुरंधरों के द्वारा मनमाने निर्णय ओर जनता की आवाज़ को सुनना या अनसुना करना रहा है। यही बात निर्दलीय उम्मीदवार के लिए अच्छी बन सकती है।

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