रिश्तेदार और ग्रामीण कहते थे – इसे अनाथालय में छोड़ दो। आज उसी लड़की ने पेरिस में लहराया परचम। माँ-बाप की बेची हुई जमीन वापस खरीद कर लौटाई।
दीप्ति जीवनजी ने जीता पेरिस पैरालंपिक्स में ब्रॉन्ज मेडल (फोटो साभार: olympics.com)
पैरालंपिक पदक जीतने वाली दीप्ति जीवनजी पहली बौद्धिक रूप से कमजोर भारतीय एथलीट बन गईं।हमने इस बार बहुत से ऐसे खिलाडी पैराओलंपिक में अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के बलबूते मेडल जीत कर लाने में कामयाब होते देखे जो की जीवन के प्रति हताश और निराश हो चुके उन व्यक्तयों के लिए प्रेरणादायी हो सकते हैं जिन्होंने यह ठान रखा की हमारे बस का कुछ नहीं है। ऐसे हताश और निराश हो चले लोगों के लिए दीप्ती जीवनजी एक प्रेरणा का स्रोत हो सकती हैं।
पेरिस पैरालंपिक्स 2024 में ब्रॉन्ज़ मेडल जीतकर भारत का नाम रोशन करने वाली दीप्ती जीवनजी प्रेरणादायक पैरा एथलीट हैं किया है। उन्होंने मंगलवार (3 सितंबर 2024) को पैरालंपिक्स में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया। दीप्ती जीवनजी मूल रूप से तेलंगाना की निवासी हैं और शुरुआत में दीप्ति ने कई कठिनाइयों का सामना किया लेकिन उनकी मेहनत और आत्मविश्वास ने उन्हें अपने लक्ष्य पैराओलंपिक में मैडल तक पहुँचाया।
दीप्ती जीवनजी मौजूदा पैरा वर्ल्ड चैंपियन और 2023 एशियन पैरा गेम्स की स्वर्ण पदक विजेता हैं। वर्ल्ड चैंपियनशिप में, उन्होंने 55.07 सेकेंड का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था, जिसे ओन्डर ने सोमवार को तोड़ दिया, जब उन्होंने हीट में 54.96 सेकेंड का समय दर्ज किया। हालाँकि पैरालंपिक्स में वो अपना बेस्ट प्रदर्शन करने से थोड़ा पीछे रही, लेकिन वो बेस्ट प्रदर्शन दोहरा पाती, तो गोल्ड मेडल जीत जाती।
दीप्ति जीवनजी का यह मेडल सिर्फ उनके लिए ही नहीं, बल्कि देशभर के उन लाखों लोगों के लिए प्रेरणा है जो शारीरिक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। यह जीत उनके संघर्ष और दृढ़ संकल्प की कहानी बताती है, जो उन्हें सफलता तक ले गया। उनकी सफलता के पीछे उनके कोच और परिवार का भी अहम योगदान है, जिन्होंने हमेशा उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। दीप्ति का मानना है कि आत्मविश्वास और कठिन परिश्रम से कोई भी चुनौती कठिन नहीं रहती।