चीड़ के पत्तियों से तैयार की जा रही हैं राखियां

चीड़ के पत्तियों से तैयार की जा रही हैं राखियां,
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 पहाड़ की पहाड़ जैसी जिंदगी को आइना दिखाती पहाड़ की महिलाएं।

रोजगार सृजन को सृजनात्मक तरीके से करने का हुनर हो तो असम्भव भी सम्भव बनता है।

महिलाओं के द्वारा चीड़ की पत्तियों से तैयार की जा रही हैं  राखियां।

उत्तराखंड के जनपद रुद्रप्रयाग के छोटे से कस्बे तिलवाड़ा में महिलाओं ने अनूठी पहल शुरू की है।

इससे पूर्व भी भगवान श्री केदारनाथ जी के प्रसाद हेतु पहली बार बने चौलाई के लड्डू प्रसाद को भी इन्ही महिलाओं के द्वारा प्रारम्भ किया था जो कि आज करोड़ो रूपये का कारोबार बन चुका है।

अभी रक्षाबंधन पर्व को देखते हुए   फिर से अपनी रचनात्मक क्षमता का प्रदर्शन यह महिलाएं चीड़ की पत्तियों से राखियों को तैयार करने में दिखा रही हैं।

जंगलों में आग लगने की घटनाएं आम है क्योंकि यहां चीड़ के पेड़ सबसे ज्यादा हैं और इनकी पत्तियों से लगने वाली आग के कारण दावानल से कितना नुकसान होता है चाहे वह पर्यावरण का हो या जीव जंतुओं का अंदाज लगाना भी मुश्किल होता है।

 रुद्रप्रयाग वन विभाग के द्वारा सिंगोली भटवाड़ी केट प्लान के तहत आजीविका संवर्धन हेतु दिए गए प्रशिक्षण में जिसे लस्तर हिलाई फार्मर्स प्रोड्यूसर कम्पनी लिमिटेड के मास्टर ट्रेनरों ने महिलाओं को पिरूल से सजावटी सामग्री बनाने हेतु प्रशिक्षित किया था का लाभ उठाकर इस बार अलग तरह की राखियां बाजार में उतारने की तैयारी की गई है।

नए प्रयोग हर समय सफल हो यह कहा नही जा सकता है पर नए प्रयोग को करने की मातृ शक्ति की हिम्मत को हिमालय की आवाज न्यूज पोर्टल सादर वंदन अभिनन्दन करता है और इनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता है।


पहाड़ में रोजगार सृजन की सम्भवानाओं से इनकार नही किया जा सकता है। इसके कई सफलतम उदाहरण भी सामने आये हैं और आते रहेंगे । 
 बस आवश्यकता है ऐसे हुनरमंद को सरकार की तरफ से सम्मान देने की जिससे प्रोत्साहित होकर अन्य उनके लिए नजीर बने जो आज भी रोजगार के लिए आसमान को  ताकने के लिए मजबूर बने हुए हैं।

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