आज ही के दिन हुआ था उत्तराखंड के गाँधी कहे जाने वाले स्व०इन्द्रमणी बड़ोनी का जन्म

उत्तराखंड के गाँधी कहे जाने वाले स्व०इन्द्रमणी बड़ोनी का जन्म
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 रामरतन पवांर/गढ़वाल ब्यूरो।

आज ही के दिन हुआ था उत्तराखंड के गाँधी कहे जाने वाले स्व०इन्द्रमणी बड़ोनी का जन्म

उत्तराखंड को पृथक राज्य की लडा़ई लड़ने वाले प्रथम व्यक्तियो मे एक थे इन्द्रमणी बड़ोनी।

जखोली-उत्तराखंड को पृथक राज्य बनाने के लिए  आंदोलन करने वाले लोगों स्वoइन्द्रमणी बड़ोनी को उत्तराखंड का गाँधी यूँ ही नही कहा जाता है।इसके पीछे बड़ोनी जी की महान तपस्या व त्याग रहा है। राज्य आंदोलन को लेकर उनकी सोच व दृष्टिकोण को लेकर पूरे प्रदेश मे याद किया जाता है।

ज्ञात हो कि इन्द्रमणी बड़ोनी का जन्म आज ही के दिन यानी 24 दिसंबर 1925 को टिहरी जिले के जखोली ब्लाक के अन्तर्गत अखोड़ी गाँव मे मे हुआ था। उनके पिता का नाम सुरेश चन्द्र बड़ोनी था। साधारण परिवार मे जन्मे बड़ोनी का जीवन कठोर परिस्थितियों के बीच गुजरा। उनकी शिक्षा का प्रारंभ गांव से हुआ था ,स्नातक की उपाधि उन्होंनेदेहरादून मे हासिल की।

औजस्वीवक्ता होने के साथ साथ वे एक अच्छे रंगकर्मी व लोक वाद्य यंत्रों को बजाने मे निपुण थे। इन्द्रमणी बड़ोनी जब नेता के रुप मे उभर गये थे तो तब 1992 मे मकर संक्रांति के दिन बागेश्वर के प्रसिद्ध उतरायणी मेले मे उन्होंने गैरसैंण को उत्तराखंड की राजधानी बनाने की घोषणा कर दी। हालांकि आज तक गैरसैंण उत्तराखंड की स्थाई राजधानी तो नही बन सकी मगर आज यहां का जनमानस गैरसैंण मे स्थाई राजधानी बनाए जाने के लिए संघर्षरत हैं। बर्ष 1979 मे जब मसूरी मे जब उत्तराखंड क्रांति दल का गठन हुआ तो उस दौरान वे उत्तराखंड क्रांति दल के आजीवन सदस्य बन गये। इसी के बैनर तले उन्होंने राज्य बनने के लिए भारी संघर्ष किया।

उत्तराखंड मे स्व० बड़ोनी का कद बड़ा होने लगा, सन 1961 मे अपने गांव अखोड़ी के प्रधान बने उसके बाद जखोली खंड के प्रमुख बने। इसी दौरान 1967 मे पहली बार वे देवप्रयाग विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गये,और तीन बार विधायक रहे और 18 अगस्त 1999 को उनका देहावसान हो गया।

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