रामरतन पवांर/गढ़वाल ब्यूरो
विकासखंड जखोली के चारधाम यात्रा मार्ग के ममणी पूल पर वर्षों पूर्व बनायी गयी थी मजार।
अमकोटी -त्यूँखर मोटर के निकट पांगरगाड पर भी बनी है मजार।
प्रदेश भर मे चलाया जब अवैध मजारो को तोड़ने का सिलसिला तो तब कहाँ सोया था रूद्रप्रयाग का जिला प्रशासन। आखिर क्यो नही तोड़ी गयी ये दो मजार।
जखोली- उत्तराखंड सरकार ने सरकारी भूमि पर अवैध रूप से बनाये गये मजारो को तोड़ने के आदेश जिला प्रशासन को दिये जिस आदेश के अनुरूप उत्तराखंड मे हजारो मजारो को तोड़ा गया।
ज्ञात हो कि विकासखंड जखोली के अन्तर्गत कुछ वर्ष पूर्व मयाली बाजार से लगभग पाँच किलोमीटर आगे ममणी पुल पर एक मजार बनाई गई थी और एक ओर मजार अमकोटी त्यूँखर मोटर मार्ग पर स्थान पांगरगाड़ पुल के समीप बनाया गया, इस मजार को बनाये हुए लगभग आज 10 वर्ष से ऊपर का समय बीत चूका है। लेकिन आजतक ये पता नही चल पाया कि ये मजारे किसने बनायी और किस मकसद से बनायी गयी, आपकी जानकारी के लिए बता दे कि जो मजार पांगरगाड पुल के निकट बनायी गयी बताया जा रहा कि वो मजार सीविल भूमि पर बनाया गया है और जो मजार ममणी पुल पर बनी है वो पी डब्लू डी की जगह पर बनायी है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि यात्रा मार्ग होने के कारण हर दिन शासन प्रशासन की गाड़ियां हर रोज ममणी होते होते हुए गुजरते है तो फिर इन अधिकारियों को ये मजार नजर नही आयी, सवाल यह भी है कि सरकार द्वारा जब कुमाँऊ मंडल व गढ़वाल मे मजारो को तोड़े जाने का डंका पिट रहा है। यही ही नही ममणी पुल पर जो मजार बनी है ठीक उसी के नजदीक पुलिस द्वारा सीसीटीवी केमरे भी लगाये गये है फिर भी प्रशासन को कुछ नही दिखाई दे रहा। जबकि सैय्यद बाबा के नाम से बनी इन अवैध मजारो को आज तक हट जाना चहिए था।
इन मजारो पर मुस्लिम मजहब के लोग कम और अंधविश्वासी गरीब तबके के हिन्दू ज्यादा आने लगते है और इन मजारो मे धूप, अगरबत्ती व श्रीफल चढा़कर इस पर विश्वास कर लेते है और इस प्रकार से ये मजारे धीरे धीरे बृहद रूप ले लेती है।
ऐसे मजारो को जिला प्रशासन द्वारा तत्काल प्रभाव से हटाया जाना चहिए इससे पूर्व भी मयाली बाजार से 2 किलो की दूरी पर अवैध रूप से सड़क के किनारे बनी एक मजार को उत्तराखंड रक्षा अभियान के कार्यकर्ताओं के द्वारा तोड़ा गया था।