दिन दहाड़े बाघ ओर तेंदुए की आमद से भय के माहौल में जी रहे ग्रामीण।
जंगली जानवरों का बसाकत के नजदीक आने का मतलब जनहानि ओर पशुहानि जैसी घटनाएं हो सकती हैं।
दिन के उजाले में बेखोफ घूम रहै हैं बाघ ओर तेंदुआ एक माह के अंदर एक ही गाँव के 16 कुत्ते ओर 2 बछिया जो कि गोशाला के अंदर बंधी थी को मार कर क्षेत्र में अपनी मौजूदगी का अहसास करा रहै हैं।
जंगली जानवरोँ से पहाड़ की खेती को कितना नुकसान पहुंचाया जाता है इसका अंदाज यहां बंजर पड़े खेतों से लगाया जा सकता है जिसमे मुख्यतः घुरड़, काखड़, सुअर, लंगूर ओर बन्दर हैं जिसमे सुअर ओर बन्दरों के आतंक से परेसान होकर काश्तकार अपनी खेती से विमुख होता जा रहा है और कृषि भूमि बंजर भूमि में बदलती जा रही है।
दिन के उजाले में आमतौर पर तेंदुआ या बाघ अमूमन नहीं दिखता है पर रुद्रप्रयाग वन प्रभाग रुद्रप्रयाग की दक्षिणी जखोली रेंज के ग्राम चंदी, कोठियाड़ा में बाघ और तेंदुए के बार बार आवासीय घरों के आँगन में दिखना किसी बड़ी दुर्घटना के लक्षण हैं। वन विभाग उक्त समस्या का समाधान शीघ्र करेगा यह विश्वास ग्रामीणों को है। क्योंकि पहाड़ एक तरफ पलायन की मार से जूझ रहा है और गावं में अधिकतर घर वीरान पड़े हुए हैं।