चिरबिटिया बाजार से टैक्स वसूलने के बाद भी एक अदद शौचालय नही बन पाया, खुले में शौच मुक्त के नारे तक सीमित।

चिरबटिया स्थित बाजार मे यात्रियो व स्थानीय व्यापारियों के लिए नही है शौचालय की ब्यवस्था, लोग खुले शौच जाने को मजबूर चारधाम यात्रा का मुख्य पड़ाव भी है
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 रामरतन पवांर/गढ़वाल ब्यूरो

चिरबटिया स्थित बाजार मे यात्रियो व स्थानीय व्यापारियों के लिए नही है शौचालय की ब्यवस्था, लोग खुले शौच जाने को मजबूर।

चारधाम यात्रा का मुख्य पड़ाव भी है चिरबटिया,फिर भी जिला प्रशासन शौचालय बनाने को नही तैयार।

व्यापारियों से टैक्स वसूलने के बाद भी जिला पंचायत के द्वारा शौचालय निर्माण नही करवाया गया।

जखोली- जनपद रूद्रप्रयाग और टिहरी के मध्य स्थित चिरबटिया वर्तमान समय मे आज अपने अस्तित्व के लिए रो रहा है, यहाँ का प्राकृतिक सौन्दर्य, सुन्दर वातावरण व खूबसूरत वादिया बहार से आने वाले पर्यटकों के मन को मोह लेती है। लेकिन आलम यह है कि आज चिरबटिया अनेक समस्याओं से जूझ रहा है,जहाँ  एक तरफ सरकार चिरबटिया को पर्यटन हब बनाने की बात कर रही और दूसरी तरफ चिरबटिया बाजार मे समस्याओं का अम्बार लगा हुआ है।

   आपको अवगत करा दे कि चिरबटिया जो कि एक छोटा सा बाजार है और इसी स्थान से श्री केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री, यमनोत्री इन चारो धामो के लिए यात्राकाल के दौरान हजारों  वाहन गुजरते है यानी चिरबटिया चारधाम यात्रा का मुख्य पड़ाव मे भी शुमार है

लेकिन इतना सब कुछ होने के बावजूद भी चिरबटिया मे आज भी ना तो यात्रियों के लिए और नाही व्यापारियों के लिए कोई शुलभ शौचालय की व्यवस्था हो पाई। चिरबटिया के स्थानीय लोगो का कहना है कि हम सालो से शासन प्रशासन से चिरबटिया मे शौचालय की माँग करते आ रहे है लेकिन रूद्रप्रयाग प्रशासन इस और कोई दिलचस्पी नही ले रहा है। 

   जबकि जिला पंचायत द्वारा यहां से हर साल टैक्स वसूल कर भी लेके जाता है बावजूद भी जिला पंचायत ने शुलभ शौचालय की कोई व्यवस्था नही की, जिस कारण से यात्रियों व स्थानीय व्यापारियों को खुले मे ही शौच जाना पड़ता है। 

 एक तरफ सरकार गाँवो को हर परिवार को शौचालय देने की बात कर रही है और दूसरी तरफ लोग आज इस युग मे खुले मे शौच जाने को मजबूर हो रखे है। 

चिरबटिया के प्रधान दिनेश सिह पवांर, पूर्व प्रधान रुप सिह मेहरा, सुनील कैन्तूरा, कमल सिह मेहरा, पूर्व प्रधान प्रेम सिह मेहरा ने बताया कि चिरबटिया मे मूलभूत समस्याओं के समाधान हेतू क्षेत्रीय जनता द्वारा कई बार  क्षेत्रीय विधायक, जिलापंचायत अध्यक्ष, जिलाधिकारी, उपजिलाधिकारी को लिखित व मौखिक रुप से बताया। लेकिन कोई भी जनता की समस्या के निराकरण के लिए कार्यवाही करने को तैयार नही, हाँ कि चुनाव के समय जनता के साथ बड़े-बड़े वायदे करके चले जाते है और अपने किये हुए वायदों को कुर्सी मिलने के बाद भूल जाते। 

   सबसे बड़ा सवाल ये भी है जनता की मूलभूत समस्याओं के समाधान के लिए जिलास्तरीय अधिकारियों की भी अहम भूमिका मानी जाती है लेकिन जनपद रूद्रप्रयाग का प्रशासन कुम्भकर्णी नींद मे सोया है।

अधिकारी केवल सरकार मे अहम पदो मे बैठकर रोटियां सेकने तक सिमित है तो फिर जनता की समस्याओं को कौन सुनेंगा।

जिला पंचायत हो या क्षेत्र पंचायत सिर्फ प्रतीक्षालय, सीसी मार्ग  ओर स्वागत द्वार बनाने तक सीमित हैं यदि देखा जाए तो जिलापंचायत की हो या क्षेत्र पंचायत की निधि जो सदस्यों को आवंटित होती है का 90 से 99 प्रतिशत इन्ही कार्यों में व्यय होती है।

1992 में संविधान के 73 संविधान संशोधन द्वारा इसे और मजबूती मिली है। इस संविधान संशोधन में इसे सुव्यवस्थित एवं कानूनी आधार दिया गया है। इस संविधान द्वारा भारतवर्ष के सभी राज्यों में पंचायती राज व्यवस्था लागू की गई है।


महात्मा गांधी ने भी कहा था

‘सच्चा लोकतंत्र केन्द्र में बैठकर राज्य चलाने वाला नहीं होता, अपितु यह तो गांव के प्रत्येक व्यक्ति के सहयोग से चलता हैं।’



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