राजस्थान सियासी संकट- BJP हुई निराश, गहलोत ने फिर बचा ली सरकार।
राजस्थान में भाजपा को गहलोत सरकार पर आये संकट के सियासी बादल छंटने के आसार के बाद गहलोत सरकार गिरने की उम्मीदें एक बार फिर धराशायी होती नजर आ रही हैं। सचिन पायलट और गहलोत की लड़ाई में कांग्रेस की सरकार भंवर में फंसता देख भाजपा मौके की ताक में तो हैं पर उसे संकट के बादल छंटने के बाद गहलोत सरकार गिरने का मौका मिलता दूर-दूर तक दिखाई नहीं दे रहा है। मुम्बई में भी पहले बीजेपी अति उत्साह का खामियाजा उठा चुकी है। जिस तरह से फजीहत महाराष्ट्र में हुई थी उसके कारण भाजपा देखो और इंतजार करो की रणनीति पर काम कर रही है।
राजस्थान में गहलोत सरकार गिरने की उम्मीदें एक बार फिर धराशायी होती नजर आ रही हैं। सचिन पायलट और गहलोत की लड़ाई में कांग्रेस की सरकार भंवर में फंसता देख भाजपा मौके की ताक में तो हैं पर उसे संकट के बादल छंटने के बाद गहलोत सरकार गिरने के आसार दूर-दूर तक दिखाई नहीं दे रहा है।
भाजपा पहले ही महाराष्ट्र अति उत्साह का खामियाजा उठा चुकी है। जिस तरह से फजीहत महाराष्ट्र में हुई थी उसके कारण भाजपा देखो और इंतजार करो की रणनीति पर काम कर रही है। भाजपा को गहलोत सरकार पर आये संकट के सियासी बादल छंटने के आसार के बाद कोई भी कदम ऐसे नहीं उठाएगी जिससे कि पूर्व की स्थिति फिर से बने।
गहलोत के द्वारा कांग्रेस अध्यक्ष की दावेदारी करना फिर राजनितिक घटनाक्रम का होना 102 विधायकों के बागी होने का खतरा यह सब किसी भी तरह से गहलोत सरकार के लिए अच्छे संकेत नहीं दिख रहे थे पर अब स्थिति सामान्य होने के बाद दिल्ली से जयपुर तक सियासी संकट के बीच गहलोत सरकार गिरने की बीजेपी की उम्मीदों पर फिर पानी फिरता दिख रहा है। भारतीय जनता पार्टी के नेता कह रहे हैं कि कांग्रेस में मचे राजनीतिक घमासान में वो एक अच्छे दर्शक और बेहतर श्रोता की तरह हैं। हम 2023 के चुनाव को ध्यान में रखते हुए अगले साल कांग्रेस से चुनावी मैदान में दो-दो हाथ करेंगे।
राजधानी जयपुर में दस दिन पहले जब ये खबर आई कि कांग्रेस आलाकमान के दूत जयपुर आ रहे हैं। कांग्रेस में मचे अंतर्कलह को समझगें जिसके बाद ही कोई निर्णय होगा तो बीजेपी को सियासी उलटफेर की पूरी संभावना थी।
दस जनपथ मुख्यालय से कांग्रेस के दूतों का आना गहलोत सरकार का जाना और सचिन पायलट का राजस्थान की धुरी बनना विपक्षियों द्वारा यह कयास लगाए जा रहे थे उन्हें लग रहा था कि पायलट आये तो गहलोत खेमा सरकार गिरा देगा। पर विपक्ष के अरमानो पर गहलोत की जादूगरी से सरकार फिलहाल बचाकर पानी फेर दिया। राजनीति को संभावनाओं का खेल मानने वाले नेता अब भी कह रहे हैं कि कुर्सी जायेगी किसकी जाएगी भविष्य के गर्त में है। सियासत में कब, किसे, कैसे खेल खेलने का मौका मिल जाए कुछ कहा नहीं जा सकता।