सड़क और स्वास्थ्य सुविधाओं के आभाव में कुर्सी को डोली बनाकर कंधो पर रखकर मरीज को ले जाने को मजबूर निजमुला घाटी के लोग

हर घर बिजली पानी की सुविधा देने हर गाँव तक सड़क पहुंचाने का जिम्मा लिए डबल इंजन की सरकार अपने लक्ष्य के प्रति कितना समर्पित है यह दिखा निजमुला घाटी में
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 प्रभात पुरोहित/ चमोली गढ़वाल।

उत्तराखण्ड राज्य बने हुए दो दशक हो गए और जिस विकास की चाह के लिए उत्तराखंड राज्य के आंदोलनों में लोगों ने अपने प्राणों की आहुति देकर उत्तराखंड राज्य के सपने देखे थे वह सब ठगे हुए महसूस कर रहें हैं।

पहाड़ की समस्या पहाड़ जैसे बनी हुई है इसका कारण राजनीतिज्ञों और नीतिनियन्ताओं में दृढ़ इच्छा शक्ति का अभाव ओर वर्तमान में चल रहे भर्ती संग्राम के साथ साथ कल तक जिनकी छतें बरसात में टपकती थी उन्होंने राजनीति की गंगा में हाथ धोकर महल खड़े कर दिए।क्या यही सब सहन करने के लिए बना था उत्तराखंड।

हर घर बिजली पानी की सुविधा देने हर गाँव तक सड़क पहुंचाने का जिम्मा लिए डबल इंजन की सरकार अपने लक्ष्य के प्रति कितना समर्पित है यह दिखा निजमुला घाटी में सड़क के अभाव में जंगल के रास्ते में नवजात शिशु  को जन्म। ऐसे ही दर्द चमोली जनपद के निजमुल्ला घाटी के गावों में सड़क और स्वास्थ्य सविधाओं के अभाव के कारण लोग झेल रहे हैं।

आज पाणा गावँ की  एक गर्भवती महिला ने स्वास्थ्य सुविधा और गावँ से सड़क का बहुत दूर होने कारण बीच रास्ते मे ही नवजात को जन्म दिया चमोली जनपद की निजमुला घाटी आज भी सड़क मार्ग के सपने आजादी के अमृत महोत्सव मना रहे भारत देश मे देख रही है क्या आजादी देश के अन्य भाग के हिस्से में ही आयी इस क्षेत्र की समस्याओं के लिए नीतिनियन्ता से ज्यादा इस क्षेत्र के प्रतिनिधि दोषी हैं। जिन्होंने आजादी के इतने लंबे समय तक राजनीति की पर एक अदद सड़क इस क्षेत्र के गावों को नही दे पाए।

आजादी का अमृत महोत्सव बड़े धूमधाम से मनाने वाले उत्तराखंड राज्य के लोग आज भी पहाड़ जैसे जीवन जीने को मजबूर हैं। राजनीति में सफेद कपड़े  ओर छींटदार कपड़े पहनकर अपने भाषणों से सराबोर ओर जय जयकार करवाने वाले नेताओं के लिए आंख खोलने वाली खबर दिखाओ तो क्या क्या बहाने बनाते हैं सबको पता है। 

ऐसे ही दर्द चमोली जनपद के निजमुल्ला घाटी के गावों में सड़क और स्वास्थ्य सविधाओं के अभाव के कारण लोग झेल रहे हैं। ऐसे कई गाँव है जो आज भी सड़क तथा स्वास्थ्य सुविधा न होने पर भी पलायन की ओर नही बढ़े। जबकि उत्तराखंड सरकार का पलायन पहाड़ों से पलायन रोकने के लिए बनाया गया पलायन आयोग खुद पलायन कर गया।

पहले भी गर्भवती महिलाओं का लाचार स्वास्थ्य सविधाओं के अभाव में दर दर की ठोकर खाने की खबरें लगातार दिखायी गयी हैं। सरकार कब तक ऐसी जिंदगी जीने को मजबूर रखेगी यह देखने वाली बात होगी।

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