बड़ी पहुंच की धौंस न आई काम अब होगी जांच।
उत्तराखंड की विधानसभा सचिवालय में हुई बैकडोर भर्तियों पर चल रही उठाक पटक ओर जांच की मांग को लेकर जनता अपने आप को ठगा महसूस कर रही है जिसका कारण जिसको सर्वोच्च समझा वही अपने प्यादों को सजा के चला गया।
बेरोजगार युवा आंदोलनरत हैं और सरकारों द्वारा अनदेखी की गई है पर फिर भी केंद्र सरकार की नीतियों से खुश होकर युवाओं और महिला पुरुषों ने भाजपा सरकार को एकतरफा मत देकर विधानसभा भेजा था जिसका परिणाम यह हुआ कि मनमानी ओर बिना किसी खोफ के अपने खासमखासों को बैकडोर से भर्ती करके आम जनता के मुंह पर करारा तमाचा मारा गया जिससे उत्तराखंड की जनता कृतव्यविमूढ़ हो गयी थी अब कोसना भी किसको था गलती अपनी थी।
जब यह मामला जांच की मांग को लेकर गति पकड़ने लगा तो जनभावनाओं को देखते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा माननीय विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर विधानसभा के हुई बैकडोर भर्तियों की जांच हेतु आग्रह किया गया जिस पर तत्काल विधानसभा अध्यक्ष ने कार्यवाही करके कहा कि मैने मोदी जी के धेय्य वाक्य को अपनाया है न खांउंगा न खाने दूंगा।
इस मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है जो कि 2012 से 2022 तक विधानसभा में हुई भर्तियों की जांच करेगी। क्योंकि 2012 से पहले उत्तराखंड में उत्तरप्रदेश की नियमावली थी फिर भी जरूरत पड़ने पर 2012 से पहले की भी जांच करवाई जाएगी।
एक्सपर्ट कमेटी में दीपक कोटिया को अध्यक्ष, सुरेंद्र सिंह रावत व आवेंद्र सिंह को सदस्य बनाया गया है यह कमेटी एक माह के अंदर जांच करके अपनी रिपोर्ट को विधानसभा अध्यक्ष को सौपेंगी।
एक्सपर्ट कमेटी में दीपक कोटिया को अध्यक्ष, सुरेंद्र सिंह रावत व आवेंद्र सिंह को सदस्य बनाया गया है यह कमेटी एक माह के अंदर जांच करके अपनी रिपोर्ट को विधानसभा अध्यक्ष को सौपेंगी।


