प्रभात पुरोहित/ सवांद सहयोगी चमोली
मां नन्दा दैवी की लोकजात पहुंची रात्रि विश्राम के लिए मटई गावँ।
विश्व प्रसिद्ध माँ नन्दा देवी की राजजात यात्रा जो कि प्रत्येक 12 साल में आयोजित होती है। लोकजात प्रत्येक वर्ष माँ नन्दा देवी के मंदिर कुरुड़ से शुरू होकर अपने विभिन्न पड़ावों को पार करते हुए पूरी होती है।
पहाड़ को नन्दा देवी का मायका ओर यहां के लोग नन्दा देवी को अपनी धियाँण (अपनी बेटी) मानते हैं जिस तरह से पहाड़ी रीति के अनुसार बेटी को ससुराल तक छोड़ने मायके वाले जातें हैं और साथ मे घर की खेती से उपजी ककड़ी, ओर धान को कूटकर बने बुखणे, चावल से बने आर्षा, रोटन्ना, स्वाला, च्युड़ा आदि विभिन्न तरह की खाद्य सामग्री चुनरी ओर श्रृंगार सामग्री को माँ नन्दा देवी को भेंटकर आशीर्वाद मांगते हैं।
माँ नन्दा पहाड़ के जीवन में इस तरह रची बसी है कि जिसका उदाहरण यहां के लोकगीतों में स्पष्ट दिखाई देता है।
आज विभिन्न पडावों से होकर मां भगवती नंदा देवी की छतोली ओर निशाण ग्राम सभा मटई में रात्रि विश्राम हेतु पहुंची है।
ग्रामसभा मटई के विभिन्न तोकों से कल मां नन्दा इतमोली मटई गुवाड़ होते हुए दोना देवी के मंदिर से आगे पगना होते हुए अपने गंतव्य की ओर आगे बढ़ेगी।
सभी क्षेत्र वासियों ने मां भगवती का आशीर्वाद लिया वह मां भगवती को अपनी ओर से सप्रेम भेंट काकडी मुंगरी अन्य प्रकार की आजकल अपने खेतों में हो रहे फल फूलों को गांव के लोगों ने मां नन्दा को अर्पित किए।
मां नन्दा देवी के गाँव पहुंचने पर मातृ शक्ति ने मांगल गाकर मां नन्दा देवी का स्वागत किया।मातृशक्ति ने मां नन्दा को चूड़ी ओर चुन्नी चढ़ा कर मां के सामने प्रार्थना कर मां भगवती से आशीर्वाद लिया।
बड़े उत्साह के साथ पूरे क्षेत्र में मां भगवती का डोला व छतोली हर गांव में घूम कर जात की ओर और आखिरी पड़ाव की ओर बढेगी। सभी लोग मां को ससुराल विदाई हेतु जागर गाकर अन्य कई प्रकार से मां की विदाई करते हैं जिससे संपूर्ण क्षेत्र में खुशहाली वह मां भगवती का आशीर्वाद बना रहता है विश्व की सबसे बड़ी जात लोक नंदा राज जात का एक छोटा रूप है।


