रामरतन सिह पवांर/गढ़वाल ब्यूरो।
जख्वाड़ी गांव की सरस्वती देवी के साथ पति के मृत्यु के बाद पैदा हो गया है रोजी -रोटी का संकट।
दो माह पूर्व मुम्बई मे ब्रेन हेमरेज से हो गयी थी कुरमा लाल की मौत।
सरकार की महत्वाकांक्षी जैसी योजना, प्रधानमंत्री आवास से भी है यह गरीब परिवार वंचित।
विकासखंड जखोली के अन्तर्गत ग्राम पंचायत जख्वाड़ी का रहने वाला 34 साल कि कुरमा लाल पुत्र प्रेम अपने परिवार के पालन पोषण के लिये मुम्बई मे किसी होटल मे नौकरी करता था। पूर्व कुरमा लाल करोना काल से दो साल किसी तरह गाँव मे गुजारने के बाद कुरमा लाल दो माह पूर्व मुम्बई मे फिर से नौकरी करने चला करने चला गया गया और किसी होटल मे काम करने लगा लेकिन लेकिन होनी को कौन टाल सकता था। अभागी कुरमा लाल का मुम्बई मे दिमाग हेमरेज हो जाने का कारण मौत हो गयी उसकी मौत की खबर सुनकर उसके पूरे परिवार मे मातम छा गया। स्वर्गीय कुरमा लाल अपने पीछे पत्नी और तीन अनाथ बच्चे छोड़ गया।
वही मृतक की पत्नी श्रीमती सरस्वती देबी का कहना है कि मेरा सबसे बड़ा बेटा 15 वर्ष, दूसरा लड़का 12 वर्ष तथा तीसरा लड़का 9 वर्ष के हैं, बड़ा बेटा अक्सर मानसिक रुप से बिमार रहता है। सरस्वती देवी बताती है कि पति के मरने के बाद अब उनके परिवार के सामने रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया है।
अगर सही मायने मे देखा जाय तो सरस्वती के पास अपने रहने के लिए पक्का नही केवल मकान के नाम पर एक कमरा है वो भी कच्चा व जीर्ण शीर्ण स्थिति मे है।
पूछे जाने पर कि आपको अभी तक प्रधानमंत्री आवास मे चयन नही किया गया तो उसका कहना था कि मैने आवास की स्थिति को देखकर प्रधान व पंचायत मंत्री को प्रधानमंत्री आवास मे चयन करने को कहा था, लेकिन किसी ने भी मेरी बात नही सुनी।
एक तरफ आवासविहीन दूसरी तरफ शौचालय विहीन तथा साथ ही साथ गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाली गरीब परिवार आज अपने पति के मृत्यु के बाद गरीबी की मार झेल रही है।
सरस्वती देबी का ये भी कहना है कि अब मेरे घर मे कोई कमाने वाला भी नही है जो कि अपना और अपने बच्चों का लालन पालन पालन कर सकूं, राशनकार्ड भी पीले रंग का बना हुआ है जिस पर पाँच किलो चावल व पाँच किलो गेहूँ सरकारी सस्ते गले की दुकान से मिलता है। आखिर सभी सरकारी योजनाओं से बंचित सरस्वती देवी का घर परिवार कैसे चलेगा।