पंजाब परिणाम से सब पार्टियां खुश क्यों हैं। उत्तरप्रदेश के परिणाम में खुशफहमी। कांग्रेस में क्यों मचा है हाहाकार।
उत्तराखंड, गोवा, पंजाब , मणिपुर और उत्तरप्रदेश में विधानसभा चुनाव 2022 के परिणाम 10 मार्च को आ चुके हैं जिसमें की पंजाब में आम आदमी पार्टी और शेष चार राज्यों में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनेगी जिसके लिए मतदाताओं ने सभी पांच चुनावी राज्यों में सरकार गठन के लिए स्पष्ट बहुमत पार्टियों को दे दिया है।
इन पांच राज्यों में चुनाव पर चर्चा में मुख्यरूप से यूपी और पंजाब रहे। पंजाब में मतगणना के बाद जो परिणाम आये उसमें ऐसे क्या हुआ कि हर कोई खुश है। कांग्रेस भी खुश, अकालीदल भी खुश, भाजपा भी खुश और आम आदमी पार्टी भी खुश, यह दिलचस्प बात पंजाब के परिणामों से सामने आयी है।
यूपी के परिणामों में खुशफहमी कहाँ हुई, और चुनाव परिणामों के बाद समझा जा सकता है की कांग्रेस में हाहाकार मचा हुआ है। यह सब इस लेख में विस्तार से समझेंगे-
यदि 2017 के चुनाव परिणामों में देखे तो उत्तराखंड, गोवा, उत्तरप्रदेश, मणिपुर और पंजाब में सिर्फ पंजाब में ही कांग्रेस पार्टी की बहुमत की सरकार थी। जिस कांग्रेस के पास कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक प्रत्येक राज्य में अपनी सरकार होती थी। उस कांग्रेस के पास आज छत्तीसगढ़ और राजस्थान में ही सत्ता के लिहाज से बची है ऊपर से राजस्थान में उठते राजनीति भूचाल के कारण कब सरकार चली जाए कह नहीं सकते जबकि छत्तीसगढ़ में पूर्ण बहुमत की सरकार है। ऐसे क्यों यह विचारणीय प्रश्न है। यूपी के परिणामों में खुशफहमी कहाँ हुई और चुनाव परिणामों के बाद समझा जा सकता है की कांग्रेस में हाहाकार मचा हुआ है।
पंजाब जो की कांग्रेस पार्टी का गढ़ हुआ करता था से भी पार्टी अपना उत्कृट प्रदर्शन नहीं दिखा पायी और सरकार में आम आदमी पार्टी को बहुमत के साथ मतदाताओं ने चुना। पंजाब में मुख्यमंत्री का चेहरा आम आदमी पार्टी ने ऐसे खड़ा किया था जो भारत की संसद में झूम बराबर झूम वाले काम करके प्रसिद्धि पाए हुए है अब सवाल उठता है कि पंजाब के मतदाताओं ने यह सब जानकर भी ऐसे पार्टी को अपना समर्थन दिया है क्यों यह लोकतंत्र है हम पंजाब से कई सौ किलोमीटर दूर बैठकर यह खबर बना रहें हैं हो सकता है मुख्यमंत्री के चेहरे रहे व्यक्ति में कुछ अलग दूरदृष्टि हो।
एक तरफ राज्य सभा में कांग्रेस पार्टी के नेता प्रतिपक्ष रहे सांसद गुलाम नबी आजाद की सदस्यता का समय पूरा हो गया। एक तरफ देखें तो मध्यप्रदेश में सरकार टूटने का कारण प्रियंका गांधी का राज्य सभा में सांसद बनने की दृढ़इच्छा होने के कारण हुआ। प्रियंका गांधी को राज्य सभा में भेजना इसलिए जरूरी था कि लोकसभा और राज्य सभा दोनों स्थान पर अपना प्रतिनिधित्व होना जरुरी था और ज्योतिरादित्य सिंधिया के स्थान पर प्रियंका गांधी का नाम सामने आने से आगे जो हुआ वह सभी को पता है मुख्यमंत्री पद पर भाजपा सरकार के शिवराजसिंह फिर से काबिज हो गए। कांग्रेस पार्टी के मुखिया की लालसा प्रियंका को राज्यसभा भेजने के कारण यह सब हुआ इसपर भी कोई बोलने की हिम्मत पार्टी में नहीं कर पाया।
पंजाब में सत्ता से दूर और उत्तरप्रदेश में ऐसे हालत में पहुंचना जो कभी सपना था के कारण कांग्रेस पार्टी में हाहाकार की स्थिति बन रही है। लड़की हूँ लड़ सकती हूँ के नारे ने उत्तरप्रदेश में समाजवादी पार्टी को बढ़त दे दी जो पार्टी दो अंको तक सिमित थी वह तीन अंकों तक पहुंच गयी। कालखण्ड में देखें तो वर्ग विरोध और मोदी विरोध ने पार्टियों के क्या हाल किये हैं यह काल्पनिक होता था जो आज साकार होता दिख रहा है। हर मतदाता अपनी समझ के अनुसार मतदान कर रहा है। मतदाता की जागरूकता और कई मुद्दों पर प्रखर होकर अपना पक्ष रखना मीडिया में चल रही बातों का विश्लेषण करके निष्कर्ष पर पहुंचना और ऐसे फैसले लेना जिससे की राजनीतिकदलों को सोचने पर मजबूर करना यह लोकतंत्र की मजबूती का बहुत अच्छा उदाहरण है।
पंजाब में सब खुश हैं जिसमें कांग्रेस पार्टी भी शामिल है क्यों इसका विश्लेषण करें तो पता चलता है कि आम आदमी पार्टी का पंजाब की सत्ता पर काबिज होने का मुख्य कारण कांग्रेस पार्टी द्वारा बनाये गए प्रदेश अध्यक्ष था। ममता बनर्जी ने भी हाल में कहा कि क्षेत्रीय क्षत्रपों को बढ़ना है तो कांग्रेस का साथ छोड़ना पड़ेगा। दिल्ली प्रदेश में 15 साल से कांग्रेस पार्टी की सरकार जिसकी मुख्यमंत्री शीला दीक्षित थी के विरोध में आम आदमी पार्टी गठन हुआ था और आम आदमी पार्टी दिल्ली में कांग्रेस से सत्ता अपने पक्ष में कर दी। वही आम आदमी पार्टी आज पंजाब सरकार बनाने जा रही है जिसपर कांग्रेस खुश है कि भाजपा की सरकार पंजाब में नहीं बन पायी। कांग्रेस पार्टी टूटी तो जनता दल बना जिसके अध्यक्ष लालू प्रसाद रहे, एम वाई समीकरण बनाया सबकुछ करने भी जो मुख्य वोटर कांग्रेस के थे उन्होंने कांग्रेस पार्टी को यूपी में वोट नहीं दिया वह वोट बैंक इकतरफा समाजवादी पार्टी को गया।
बंगाल में भाजपा को रोकने के चक्कर में कांग्रेस ने अप्रत्यक्ष रूप से तृणमूल कांग्रेस का साथ दिया तो बंगाल में भी कांग्रेस कुछ नहीं कर पायी। आज ममता बनर्जी ने कहा कि यदि मोदी से लड़ना है तो कांग्रेस पार्टी को छोड़कर आना होगा ऐसे क्यों कहा इसके भी अलग मायने हैं। ममता बनर्जी मुखर होकर मोदी विरोध करती हैं जितना कोई कर पाता इससे सबको ये लगता कि ममता बनर्जी को फ्रंट में लेकर चुनाव लड़ा जाये इसलिए ही समाजवादी पार्टी ने ममता को यूपी में प्रचार में उतारा।
1977 में कांग्रेस की सरकार बंगाल में थी फिर कम्युनिष्ट आये कांग्रेस पार्टी बंगाल में दुबारा नहीं आ पायी बल्कि ममता की पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने लगी और दिल्ली आदमी पार्टी के साथ।
पंजाब के चुनाव परिणामों में आम आदमी पार्टी का प्रदर्शन इस तरह रहेगा किसी को भी इतनी बड़ी आशा नहीं थी। चन्नी खुश हैं क्योंकि सिद्धू हार गया, कैप्टन अमरिंदर सिंह खुश है कि सिद्धू हार गया, सिद्धू खुश है की चन्नी और कैप्टन दोनों हार गए। मनीष तिवारी खुश हैं कि सबके सब हार गए, अश्वनी कुमार पूर्व कानून मंत्री भी खुश हैं कि सिद्धू, चन्नी, भी हार गए क्योंकि इन्हे सासंद रहते हुए भी किसी ने पूछा तक नहीं। ख़ुशी की लहर भाजपा में भी है जिस सिद्धू को पाकिस्तान से हमदर्दी के लिए भाजपा ने हमेशा सुर्ख़ियों रखा वह सिद्धू हार गया।
कांग्रेस खुश है कि अकाली दल हार गया और अकाली दल खुश है कि कांग्रेस निबट गयी यही चल रहा है आजकल अब आगे देखते हैं होता है क्या।
पाठकों से अनुरोध है कि अपने विचार कमेंट बॉक्स में अवश्य दें अगला विश्लेषण उत्तराखंड में हुए विधानसभा चुनावों के नतीजे पर होगी आपके भी कोई सुझाव हों तो अवश्य दीजियेगा।