उत्तराखण्ड के बीटीसी प्रशिक्षितों की आशा को पंख लगने का इंतजार

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 रामरतन सिह पवांर/गढ़वाल

उत्तराखण्ड के बीटीसी प्रशिक्षितों की आशा को पंख लगने का इंतजार।


क्या 1996 मे उतराखंड के  पत्राचार बीटीसी प्रशिक्षित भी अपने हक के लिए आयेंगे आगे।

 उत्तरप्रदेश की तत्कालीन मुलायम सरकार द्वारा सन 1996 मे पत्राचार बीटीसी की शुरुआत की थी,जिस पत्राचार के माध्यम से उतराखंड प्रदेश के लगभग 864 लोगों ने पत्राचार बीटीसी प्रशिक्षण दो वर्षीय पाठ्यक्रम को पूर्ण किया था।

पत्राचार बीटीसी करने के बाद उत्तरप्रदेश सरकार ने शिक्षा नियमावली बनायी कि जिनके द्वारा पत्राचार बीटीसी किया गया उन बीटीसी पत्राचार उतीर्ण लोगो को  सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त स्कूलों में नियुक्ति दी जाएगी और यह शासनादेश 1995 का था।

आज भी आसमान की ओर टकटकी लगाए बीटीसी प्रशिक्षित बेरोजगार अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहें हैं क्योंकि नोकरी न मिलने से जीवन स्तर में आर्थिक, सामाजिक और मानसिक तनाव ने ऐसे जाल बना रखा है कि न तो वो लोग जी सकते है और नाही मर सकते है।

क्या था पूरा मामला इसके लिए अगला अंक जारी किया जाएगा।

आज माननीय सुप्रीम कोर्ट में पत्राचार बीटीसी के मामले पर लगभग 8 मिनट सुनवाई हुई जिसका विषय था एसएलपी (सी) संख्या 2056/2022 राज्य की तत्काल सूची के लिए अत्यावश्यकता।




इसमें याचिकाकर्ता यूपी राज्य ने विशेष अनुमति याचिका दायर की थी।

   बीटीसी पत्राचार 1996 के कंटेंट संख्या 174 सन 2015 में आज सुनवाई हुई प्रथम राउंड में अधिकारी लोग अनुपस्थित थे सरकारी वकील द्वारा बताया गया कि संबंधित अधिकारीगण रास्ते में है केस को दोबारा रिवाइज में रखा गया दोबारा सुनवाई हुई अधिकारियों के पास अदालत के द्वारा उठाए गए प्रश्नों का उत्तर नहीं था अदालत नाराज हो गई अदालत ने नाराजगी जताते हुए  आदेश पारित किया कि आज हम चार्ज फ्रेम  करते हैं और हम तय करेंगे कि सजा आपको क्या दी जाए वह सजा भी हम देंगे और  पुनः 24 फरवरी 2022 को अधिकारी गणों को अदालत के समक्ष पुनः उपस्थित होना पड़ेगा। अब अधिकारी गणों के सामने केवल दो ही विकल्प हैं या तो नियम का पालन करें नहीं तो सुप्रीम कोर्ट से हाईकोर्ट के कंटेंट को स्टे करा कर लाना पड़ेगा। 

 ज्ञात हो कि बीटीसी पत्राचार बैच 1996 जिसमें की उत्तरप्रदेश राज्य सरकार की विशेष अपील संख्या 2056 सन 2022 मैं लगभग 8 मिनट सुनवाई हुई सुनवाई के पश्चात राज्य सरकार की विशेष अपील माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज कर दी गई है।

अब देखना यह है कि उत्तराखण्ड के पत्राचार बीटीसी प्रशिक्षितों के लिए सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय उत्तराखण्ड सरकार लागू करती है  या नही ओर उत्तराखण्ड में 1996 बैच के बीटीसी प्रशिक्षित  क्या आगे आकर अपना हक मांगते हैं या नही।

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