प्रशासन नही दिख रहा है चिरबिटिया आई टी आई के प्रति संवेदनशील- Administration is not showing chirbitia sensitive to ITI

आई टी आई संघर्ष समिति ने चिरबटिया औधौगिक प्रशिक्षण संस्थान मे की अध्यापको की तैनाती की माँग,
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 रामरतन सिह पवांर/जखोली

आई टी आई संघर्ष समिति ने चिरबटिया औधौगिक प्रशिक्षण संस्थान मे की अध्यापको की तैनाती की माँग। 

प्रशासन नही दिख रहा है आई टी आई के प्रति संवेदनशील।



जखोली- चिरबटिया मे स्थापित राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान जिसकी स्थापना बर्ष 1992 मे जनता की माँग पर की गई थी। इस संस्थान का सीमान्त क्षेत्र मे खोले जाने का मुख्य उदेश्य था कि सीमान्त क्षेत्रो मे निवास करने वाले गरीब परिवारों के बच्चों को कम खर्चे मे व्यावसायिक शिक्षा देने का सरकार का मुख्य उदेश्य था।आपको बता दे कि चिरबटिया मे 30 सालो से संचालित हो रहे आई टी आई को सरकार ने बंद कर संस्थान पर ताले जड़ दिये थे।

तीन साल से बंद पड़े संस्थान को पुनः खोले जाने के लिए क्षेत्रीय जनता लगातार प्रयासरत रही, लेकिन जब शासन प्रशासन ने बंद पड़े संस्थान को खोलने की कोई सुध नही ली तो तब टिहरी और रूद्रप्रयाग के जनप्रतिनिधियों व क्षेत्रीय जनता ने माह सितंबर 2021मे   आन्दोलन शूरु कर दिया। 

जिस आन्दोलन की बदोलत चिरबटिया मे फिर से बंद कराये गये संस्थान को सरकार ने खोलकर 16 जनवरी से इलेक्ट्रोनिक ट्रेड के साथ   प्रवेश शूरू करवाया दिया। साथ ही कुछ दिन पश्चात इलेक्ट्रीशियन की एक और ट्रेड खोल दी गई, जिससे कि इलेक्ट्रीशियन मे 20 सीट मे से 14 सीटो बच्चों को प्रवेश दे दिया गया और इलेक्ट्रॉनिक मे 24 मे से  केवल 18 छात्रो को प्रवेश की अनुमति दी गयी।

 जबकि 47 प्रवेश फार्म नोडल को जमा हो चुके है। आई टी आई संघर्ष समिति के अध्यक्ष सैन सिह मेहरा प्रधान दिनेश कैन्तूरा, क्षेत्रपंचायत सदस्य श्रीमती शशी देबी ने बताया कि आई टी आई मे प्रवेश के बाद कक्षाएं शूरु हो चुकी है मगर आज तक आई टी आई प्रशासन ने चिरबटिया मे दोनो ट्रेडो के अनुदेशकों को नही भेजा

जिस कारण से छात्रो को पठन पाठन मे भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, मात्र प्रभारी प्रधानाचार्य के सहारे संस्थान को संचालित किया जा रहा है।अगर यही हाल रहा तो छात्रो की पढाई किस तरह सम्पन्न होगी।जबकि इससे पूर्व चिरबटिया आई टी आई मे पाँच अध्यापक, छः चतुर्थ श्रेणी, एक लिपिक एक फोरमैन सहित आठ लोगों का स्टाफ मौजूद थे 

संघर्ष समिति का कहना है कि बसुकेदार, उखीमठ इन दो जगहो के स्थान जब सरकार ने बंद कर दिये गये तो इन बंद आई टी संस्थानों के कर्मचारियों को क्यो रूद्रप्रयाग नोडल मे समायोजित किया गया उन्होंने चिरबटिया मे स्टाफ की तैनाती किये जाने व आई टी आई मे रिक्त पदो को भरने सहित भवन निर्माण की माँग की है भले कि आई टी आई आज भी निशुल्क जनविकास संस्थान चिरबटिया के भवन मे निशुल्क संचालित हो रहा है, लेकिन निकट भविष्य मे संस्थान का अपना भवन का होना जरूरी है। तथा वही संघर्ष समिति का ये भी कहना है कि इस इस बावत सचिव से मुलाकात की जायेगी।



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