रामरतन पंवार/जखोली
हरीश रावत के रामनगर शीट से चुनाव न लड़ने का निर्णय कहीं पिछली भूल तो नहीं
उत्तराखण्ड विधान सभा चुनाव 2022 में जैसे ही नामांकन के लिए सिर्फ 3 दिन बचे हैं वेसे ही राजनैतिक पार्टियों के निर्णय भी करवट ले रहे हैं। आमतौर पर जब देखा जाता है तो हर पार्टी अपनी जीत का दावा करती है अपने कार्यों के अनुसार तो फिर प्रत्याशियों के चयन के लिए व उनके लिए शीटों के आंवटन में इतनी देर क्यों।
नैनीताल जनपद में आज इस्तीफे ओर धरने से राजनीति का पारा चढ़ा दिया। ऐसे में देखा जाए तो क्या हरीश रावत ने फिर से शीट बदलने का निर्णय कहीं भारी न पड़ जाए।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के रामनगर से चुनाव लड़ने के बाद कांग्रेस के भीतर उनके ही नजदीकी रहे रणजीत सिंह के चुनाव लड़ने की संभावना से उनके लिए मुश्किलें खड़ी हो गई हैं। ओर हरीश रावत ने रामनगर छोड़कर कहीं और से चुनाव लड़ने का मन बना लिया है।
राजनैतिक मामलों के जानकारों के मुताबिक वर्तमान में उनके धुर विरोधी और कांग्रेस के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष रणजीत सिंह रावत अपने पुराने गुरु हरीश रावत के रामनगर से चुनाव लड़ने को लेकर काफी खफा हैं। इस पूरे क्षेत्र में रणजीत सिंह की काफी पकड़ है ऐसे में एक बार फिर हरीश रावत के विधानसभा में पहुंचने की डगर मुश्किल हो सकती है। पिछले विधानसभा चुनाव में भी हरीश रावत के गलत निर्णय से उन्हें दोनों सीटों पर हार का मुंह देखना पड़ा था। क्या इस बार भी इतिहास स्वयं को दोहराता है ये देखना होगा।
सबसे बड़ी समस्या टिकटों के आवंटन में हो रही देरी के साथ साथ इस बार टिकट दावेदारों का निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन ओर थर्ड फ्रंट बनाना कहीं न कहीं पूरे प्रदेश की राजनीति पर असर डालेगा।