जरूरतमन्दों की सेवा करना ही अच्छा कर्म- आचार्य मंमगाई - Serving the needy is a good deed - Acharya Mangai

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 रामरतन पवार/जखोली


जरूरतमन्दों की सेवा करना ही अच्छा कर्म- आचार्य मंमगाई।


बुरे कर्मो की श्रेणी में झूठ धोखा दूसरे को कष्ट पंहुचाना आदि सम्मिलित है जबकि अच्छे कर्म की श्रेणी में धर्म सत्य का अनुशरण समाज के जरूरतमन्दों की सेवा करना सम्मिलित किये जा सकते हैं सत्य का पालन बौद्धिक स्तर पर अहिंसा का पालन मन स्तर पर ब्रह्मचर्य का पालन शारिरिक स्तर पर कहा गया है। सत्य का अर्थ है मन क्रम वचन से असत्य से दूर रहना।



उक्त विचार बद्रीनाथ ज्योतिष्पीठ व्यास आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं जी ने कोट बांगर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के चतुर्थ दिवस पर व्यक्त करते हुए कहा कि हम पूर्व जन्म का हाल नही जानते अतः जब भी हम किसी विपत्ति में पड़ते है तो पहले सांसारिक उपाय करते हैं परंतु जब उपाय सम्भव नही होते तो उस प्रभु को दोष देते हैं बजाय दोष देने के उस पर विश्वास कर उसकी सहायता मांगना ही श्रेयस्कर है हमारे ऊपर जो कोई कष्ट विपत्ति आती है वह भी हमारे द्वारा किये गए पूर्व जन्मों का फल है हमे जो कुछ भी मिलता है कर्मो से ही मिलता है लेकिन भाग्य से प्राप्त नही होता सारे देवों ने कर्मो को ही महत्ता दी यदि मनुष्य कर्म विहीन हो तो पृथ्वी पर भलाई पैदा नही होगी भलाई को मनुष्य की चेतना ने ही जन्म दिया है श्रीमद्भागवत की कथा जनों को पावन करती है श्रोता कर्ता प्रश्न कर्ता को जैसे गंगा जी का जल दर्शन स्पर्श व पान करने वालों को करता है आज कथा के प्रसंग में भगवान कृष्ण जन्म की कथा का प्रसंग भक्तो को श्रवण कराया गया ठाकुर जी की दिव्य झांकी के साथ माखन मिश्री के प्रसाद से ओत प्रोत वातावरण गोकुल जैसा प्रतीत हुआ 

इस अवसर पर विशेष रूप से  श्री जगतम्बा सेमवाल गुनानन्द सेमवाल भावना सेमवाल कृष्णा खुशी आचार्य रत्नमणी सेमल्टी दामोदर सेमवाल मनोज थपलियाल संभु प्रसाद थपलियाल लक्ष्मी प्रसाद सेमवाल महावीर मेगवाल प्रकाश भट्ट संदीप भट्ट संदीप बहुगुणा आदि भक्त गण भारी संख्या में उपस्थित थे!!

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