अशासकीय विद्यालय प्रबंधन का जबरन स्कूलों को बन्द करवाने के खिलाफ बैठक

अशासकीय विद्यालयों की मान्यताएं समाप्त करने पर विद्यालय प्रबंधन की बैठक,
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 अशासकीय विद्यालय प्रबंधन का जबरन स्कूलों को बन्द करवाने के खिलाफ बैठक।

शिक्षा विभाग पर नियमों की आड़ में उत्पीड़न का आरोप।

विद्यालयों पर जुर्माना ओर सम्मन  जारी होने के चलते अशासकीय विद्यालय प्रबंधन आक्रोशित।

अगस्त्यमुनि- अशासकीय  विद्यालयों की मान्यता रद्द व भारी भरकम जुर्माने की राशि को शिक्षा विभाग द्वारा लगाने के कारण अशासकीय मान्यता प्राप्त नविद्यालय संगठन की बैठक अगस्त्यमुनी में अनूप रमोला की अध्यक्षता में संपन्न हुई, जिसमें शिक्षा विभाग द्वारा कतिपय नियमों की आड़ में विद्यालयों का उत्पीड़न किए जाने और उन्हें जबरन बंद किए जाने की निंदा की गई ओर प्रबंधकों ने एक स्वर में कहा कि शिक्षा मंत्री ने इसमें स्पष्ट आशासन दिया था मगर विभाग अपनी मनमर्जी कर रहा है। विद्यालय प्रबंधन तंत्र के उत्पीड़न व उनकी  सामाजिक छवि धूमिल करने की कार्यवाही शिक्षा विभाग के द्वारा की जा रही है जो सही नही है।

बैठक में वक्ताओं के द्वारा कहा गया कि कई स्कूलों को सम्मन जारी कर‌ एक लाख रु. जुर्माना लगाया गया है।‌ विभाग को दस्तावेज जमा करने के लिए स्कूल प्रबंधन को समय देना चाहिए और जो फाइलें विभाग दबाये बैठा है, उन फाइलों पर संस्तुति की जानी चाहिए।

बैठक में निर्णय लिया गया कि शिक्षा विभाग के तानाशाही रवैये का विरोध किया जाएगा और जरूरत पड़ने पर आंदोलन भी किया जाएगा।

इस अवसर पर विजय चमोला, महावीर सिंह रमोला आदि ने भी विचार व्यक्त किये।

दूसरी ओर खंड शिक्षा अधिकारी अतुल सेमवाल ने कहा कि‌ सरकार की गाइडलाइन के तहत जिला मुख्य शिक्षा अधिकारी‌ के निर्देश पर मानकों के विपरीत चल रहे निजी स्कूलों की सूची तैयार की गई। इन स्कूलों की जांच की गई और इसमें जो कमियां पाई गई, उनकी पत्रावली आगे भेज दी गई है।‌ उन्होंने कहा कि नियमों में कोई ढिलाई नहीं बरती जाएगी और पूरी पारदर्शिता के साथ विभाग अपना काम कर रहा है।

एक तरफ सरकारी विद्यालयों में छात्र संख्या घट रही है इसके कारण क्या है इसपर शोध होना चाहिए। सरकारी स्कूलों में मानक पूरे हैं तो छात्र संख्या का अकाल क्यो है। कितने सरकारी विद्यालयों पर ताले लग चुके हैं ये कारण क्यो नही देखे गए उन कारणों का समाधान करके स्कूलों में छात्र संख्या क्यो नही बढ़ रही यह स्थिति अधिकतर प्राथमिक विद्यालयों की है।

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