पहले वन फिर हम

जंगलो में आग लगने से क्या नुकसान होते हैं,
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पहले वन फिर हम -  जंगल बचाने हेतु  रुद्रप्रयाग वन प्रभाग की अनूठी पहल। 

क्षेत्र की आराध्य माँ माठियाणा देवी मंदिर प्रांगण में  क्षेत्र के निवासियों से संकल्प पत्र भरवाकर आस्था के साथ जंगलों को जोड़ा जाएगा । 

जनपद रुद्रप्रयाग के जंगलों का लगभग 70 फीसदी से अधिक वन चीड़ के हैं जो कि आने वाले गर्मियों के सीजन में आग की घटनाओं का सबसे बड़ा कारण बनते हैं। वन विभाग रुद्रप्रयाग के द्वारा इस वर्ष अनूठी पहल का आगाज उपवन सरंक्षक कल्याणी के निर्देशन में किया गया है। 

इस बार क्षेत्र की आराध्य माँ माठियाणा देवी मंदिर प्रांगण में  क्षेत्र के निवासियों से संकल्प पत्र भरवाकर आस्था के साथ जंगलों को जोड़ा जाएगा जो कि अपने आप में एक दूरगामी रणनीति का आधार बनेगा। 

वन क्षेत्राधिकारी श्री हरीश थपलियाल दक्षिणी जखोली रेंज ने बताया की पहले वन फिर हम की थीम पर इस बार जंगलों को आस्था से जोड़ा जा रहा है  क्योंकि पहाड़ के लोग आस्थावान होते हैं और अपने आराध्य के स्थान पर जो वचन देते  पीछे नहीं हटते हैं।  वनो को आग से बचाने के लिए संकल्प पत्रों को 01 फरवरी 2025 से 07 फरवरी 2025 तक क्षेत्र के गावों में भरवाकर प्रतिज्ञा दिलवाई गयी कि में यु शपथ लेंदु की में वण मा आग नि लगोलू अर आग बुझोंण मा वन विभाग की मदद करलु। 

पहाडों में सबसे अधिक समस्या गर्मियों के सीजन में वनों में लगने  से पारिस्थिकीय तंत्र पर पड़ता है जो कि जीवन की चिरन्तरता को बनाये रखने के लिए अच्छा नहीं है।  बड़े महानगरों में आज वायु प्रदूषण के चलते सांस लेना कितना दूभर हो गया है यह हमारे जीवन जीने की पद्धति में भौतिकवाद आने से ही हुआ है जो कि सबसे बड़ी समस्या  बन गया है।  ऐसी स्थतियों के आने से पहले उपाय किये जाने आवश्यक हैं क्योंकि पहाड़ से निकलने वाली नदियां पुरे देश को अन्न देने और प्राणरक्षा हेतु जल और वायु दोनों का स्रोत है। 

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