13 वर्षीय बालिका को बन्दर ने हमला कर किया घायल

बन्दरों द्वारा किये जा रहे हिसंक हमले कहीं बन्दरों की मूल प्रवृति में बदलाव तो नही,
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 गबनीगाव  में 13 वर्षीय बालिका को बन्दर ने हमला कर किया घायल।

बन्दरों के व्यवहार में हिंसक प्रवृति का बढ़ना कहीं पिंजरों को लगाकर पकड़ने से तो नही बढ़ रही।

जंगली जानवरों के आतंक से परेशान पहाड़ के निवासियों के लिए बन्दरों के द्वारा किये जा रहे हमलों ने मानव वन्यजीव संघर्ष जिसमें अधिकतर तेंदुआ/गुलदार/भालू के द्वारा मानवों पर हमलों की खबरें मिलती थी पर अब इस कड़ी में बन्दरों द्वारा हमला भी बढ़ गया है। 

 विकासखण्ड अगस्त्यमुनि के गबनीगाँव मे 13 वर्षीय बालिका पर बन्दर द्वारा हमला करने से घायल किया गया। बालिका को अगस्त्यमुनि सरकारी अस्पताल में परिजनों द्वारा ले जाकर उपचार कराया गया तथा उपचार के बाद बालिका को अस्पताल से  घर ले जाया गया। इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति होने के चलते स्थानीय निवासियों में ख़ौफ का माहौल बना है। बालिका पर बन्दर द्वारा किये गए हमले की सूचना पर वन विभाग के कर्मचारी मौके पर पहुंचे तथा घायल का हालचाल जाना।

वन विभाग द्वारा जब से बन्दरों को पकड़ने के लिए पिंजरों को लगाया जाने लगा तब से बन्दरों के व्यवहार में आक्रात्मकता बढ़ी है। इससे इनकार नहीं किया जा सकता है क्योंकि मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं में बन्दरों द्वारा मानव पर हमले की सँख्या बढ़ना कहीं न कहीं बन्दरों के व्यावहार में बदलाव होने का लक्षण स्पष्ट होता है।
पहाड़ का जीवन आपदाओं ओर जंगली जानवरों के द्वारा लगातार  फसलों को नुकसान पहुंचाने के चलते कितना कष्टमय है इस बात का अंदाजा लगाना सामान्य हर किसी को पूछकर लगाया जा सकता है। 

  पहाड़ो में अमूमन बहुत बड़ा क्षेत्र जो पहले खेती बाड़ी वाला था अधिकतर बंजर हो गया है। अधिकतर पहाड़ी क्षेत्र की खेती अनुउत्पादक होने के चलते ओर रही सही कसर जंगली जानवरों द्वारा खेती को पहुंचाए जा रहे नुकसान से भी खेती किसानी से किसान विमुख रहा है।

  वन विभाग के द्वारा बन्दरों को तो पकड़ा जा रहा है पर बन्दरबाडों के अभाव में फिर से उसी क्षेत्र में छोड़ने का नियम कहीं न कहीं उस क्षेत्र के लिए मुशीबत का सबब बन रहे ये बन्दर जो एक बार पिंजरे में कैद हो गया उसकी प्रवृति हिंसक हो रही है इसका समाधान क्या हो सकता है।

  बन्दरों के व्यवहार में हिंसक प्रवृति का बढ़ना कहीं पिंजरों को लगाकर पकड़ने से तो नही बढ़ रही। वन विभाग द्वारा जब से बन्दरों को पकड़ने के लिए पिंजरों को लगाया जाने लगा तब से बन्दरों के व्यवहार में आक्रात्मकता बढ़ी है। इससे इनकार नहीं किया जा सकता है क्योंकि मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं में बन्दरों द्वारा मानव पर हमले की सँख्या बढ़ना कहीं न कहीं बन्दरों के व्यवहार में बदलाव होने का लक्षण स्पष्ट होता है।

   वन विभाग के द्वारा बन्दरों को पकड़ने की योजना ने अच्छी खासी धनराशि व्यय हुई होगी। परन्तु अभी स्पष्ट नही है कि बन्दरों को पकड़ने के बाद उनके स्वभाव में परिवर्तन हुआ यदि हाँ तो किस तरह का हुआ के अध्ययन की योजना बनाई गई है या नही।
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