हैप्रेक संस्थान ने लिस्वाल्टा बांगर में बांटे दुर्लभ सतुवा के बीज

हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के उच्च शिखरीय पादप कार्यिकी शोध केंद्र (हैप्रेक) संस्थान ने जखोली ब्लॉक के दूरस्त गांव लिस्वाल्टा बांगर में द
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 हिमालय की आवाज/न्यूज पोर्टल

हेमवती नन्दन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के हैप्रेक संस्थान ने  लिस्वाल्टा बांगर में बांटे दुर्लभ सतुवा के बीज।

जखोली-  हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के उच्च शिखरीय पादप कार्यिकी शोध केंद्र (हैप्रेक) संस्थान ने जखोली ब्लॉक के दूरस्त गांव लिस्वाल्टा बांगर में दुर्लभ जड़ी-बूटी का वितरण किया। 

     इस दौरान ग्रामीणों को जड़ी-बूटी का कृषिकरण और उनकी देखरेख का प्रशिक्षण भी दिया गया। शुक्रवार को समन्वित पारिस्थितिकीय विकास अनुसंधान वित्तपोषित परियोजना कार्यक्रम जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण संस्थान, कोसी कटारमल अल्मोडा के सहयोग से जनपद रूद्रप्रयाग के दूरस्त गांव लिस्वाल्टा बांगर में दुलर्भ जड़ी-बूटी सतुवा के बीजों का वितरण करने के साथ ही कूठ की पौधों का भी वितरण किया। 

    इस मौके पर दुलर्भ जड़ी-बूटी सतवा के कृषिकरण करने के प्रति जागरूक किया गया तथा उसके अवैध दोहन को रोकने के बारे मैं भी विभिन्न जानकारी दी गई । हैप्रेक के सह आचार्य डा. बबीता पाटनी के दिशा निर्देशन मैं यह कार्यक्रम संपन्न हुआ वहीं  संस्थान के निदेशक डा. विजयकांत पुरोहित ने ग्रामीणों को कहा कि जड़ी-बूटियों के संरक्षण के लिए उनका कृषिकरण जरूरी है। डा. पुरोहित ने कहा कि जड़ी-बूटी कृषिकरण से किसानों को जंगली जानवरों द्वारा किए जा रहे नुकसान से भी निजात मिल सकती है। साथ ही ग्रामीण आर्थिकी का जरिया भी बना सकते है। कार्यक्रम में हैप्रेक संस्थान की डा. बबिता पाटनी ने दुलर्भ जड़ी-बूटी सतुवा के औषधीय गुणों और फायदों के बारे में बताया। उन्होने जड़ी-बूटी के कृषिकरण सहित संरक्षण को लेकर जानकारी दी। वहीं  मुख्य अतिथि ग्राम प्रधान श्री नरेंद्र सिंह रावत, विशिष्ट अतिथि श्री प्रदीप रावत (समाज सेवी) तथा श्रीमती प्रविंद्र देवी, एवं  डा.प्रवीण जोशी मौजूद थे। इस मौके पर डा. जयदेव चौहान, नितिन नेगी, दीपिका गैरोला, कमल पुण्डीर सहित आदि मौजूद थे। वहीं श्रीमती रमोला देवी जी प्रगति शील किसान है संस्थान की ओर से उन्हें भी समानित किया गया

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