भर्ती धांधली में सामने आया पूर्व सीएम के ओएसडी व पूर्व मण्डी समिति के अध्यक्ष का नाम।
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) में हुई धांधलियों ने पूरे प्रदेश को अचम्भित करके रख दिया था। इस मामले में सबसे पहले धाँधलीबाज के रूप में हाकम सिंह का नाम आया और माहौल बना कि हाकम के द्वारा ये सब किया गया। जनता का गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ गया और भर्ती घोटाले किबजांच सीबीआई से हो के लिए आंदोलन प्रदर्शन होने लगे सबकी जुबान पर आयोग की भर्ती परीक्षाएं रही और असली गुनाहगार के साथ साथ इस धाँधलीबाजी में कौन कौन थे यह जानने को सब बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
धांधलियों की सब जानकारी जुटाने में STF ने अहम भागीदारी निभाई जो कि एक जांच एजेंसी को उसकी कार्यशैली में विश्वनीयता की कसौटी पर खरा उतरने का मौका था जिससे वह अपनी धमक ओर चमक को जनता के विश्वास के साथ कायम रख सके और लगातार हो रही गिरप्तारियाँ से यह साबित हुआ है कि STF ने इस मामले में बहुत अच्छा काम किया है।
यूकेएसएसएससी भर्ती परीक्षा का जिन्न न जाने कितने को लपेटे में लेगा कुछ माननीय ओर कुछ स्वयं को पालनहार समझने वाले लोग भी समय की करवट बदलते जांच टीम के जाल में फंस गए हैं।
कई वीआईपी की गवाही इस मामले में हो गयी है सूत्रों के हवाले से खबर है कि पूर्व मंडी समिति के अध्यक्ष भी इस मे संदिग्ध हैं। शनिवार को पकड़े गए तीनों आरोपियों की सरकार में बड़ी पैठ समझी जाती है।
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी) भर्ती घोटाला में संलिप्त अधिकारियों के विरूद्ध कड़ी कार्रवाई करते हुए मामले की जांच कर रहे एसटीएफ (विशेष कार्य बल) ने आयोग के पूर्व अध्यक्ष आरबीएस रावत, सचिव मनोहर कान्याल और पूर्वी परीक्षा नियंत्रक आरएस पोखरियाल को गिरफ्तार किया है। यूकेएसएसएससी द्वारा 2016 में ग्राम पंचायत विकास अधिकारियों की भर्ती के लिए आयोजित परीक्षा में हुई अनियमितताओं के सिलसिले में यह गिरफ्तारियां हुई हैं। कहा जा रहा है कि घोटाले में शामिल यूकेएसएसएससी अधिकारियों के खिलाफ एसटीएफ द्वारा की गई यह अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है।
सरकारी तंत्र में तमाम अटकलों का बाजार गर्म हुआ और अबतक जिन सम्बन्धों को गुपचुप तरीके से छुपाया गया था वह सार्वजनिक हो चुके हैं। इस मामले में एक अधिकारी सरकारी गवाह बन गया है जिससे अन्य भी जांच के दायरे में आ गए हैं। इस अधिकारी से पूछताछ के दौरान एसटीफ के सामने एक पूर्व मुख्यमंत्री के ओएसडी का नाम भी चर्चा में है अब एसटीएफ पूर्व ओएसडी से भी पूछताछ करेगी जिससे कि स्थिति स्पष्ट हो और अन्य सम्भावनाओं की कड़ी को जोड़ा जा सके।
आरबीएस रावत के राजनीतिक लोगों से गहरे ताल्लुकात थे। यही कारण था कि उन पर किसी ने हाथ नहीं डाला। अब जब रावत पर शिकंजा कसा गया है तो इसके लिए बड़ी योजना के तहत काम हुआ।
विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक, इस मामले में ज्यादातर लोगों को सरकारी गवाह बनाया गया है ताकि केस को और मजबूत बनाया जा सके।