हिमालय की आवाज़
आखिर कब तक चलेगा उत्तराखंड में फल पौध नर्सरियों की मनमानी।
रुद्रप्रयाग जनपद के सेनागड़सारी में कागजी नीम्बू के नाम पर लगाए गए उद्यान में 4 साल बाद निकल रहे खट्टी जेमिर के फल।
कहें तो किसको और बोले भी तो क्या बोले वाली स्थिति से जूझ रहें है उद्यान विभाग से लगी फल पौध के किसान जिन्हे कागजी नीम्बू की पौध का बगीचा तैयार करके होणी हूँट्याली के सुपने दिखाए गए, चिरन्तर आजीविका से जीवनस्तर में सुधार और न जाने दिन में ही आसमान में तारे दिखाने वाले सपनों से सजी योजना फल पौध रोपण के लिए कुछ किसान जिन्हे हम विभागीय भाषा में कहें तो प्रगतिशील किसान का दर्जा प्राप्त किसान कहते हैं में इन किसानों की भी गिनती होनी थी पर होनी को कुछ और मंजूर था और ये किसान बन गए विभाग के लिए सरदर्द वाले किसान।
किसान की आय दुगनी करके उसे आत्मनिर्भर कैसे बनाया जा सकता के कागजी घोड़ों को दौड़ाने में सबसे अब्बल विभाग यदि कोई है तो उद्यान विभाग है। हिमालय की आवाज़ ने कई बार उद्यान विभाग की कारस्तानियों को उजागर किया है कैसे बने आत्मनिर्भर ओर अपने पल्ले से भी सब लगाकर फिर किसी ऊची चोटी पर जाकर धूप सेकने के लायक बनाने।
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जनपद रुद्रप्रयाग के सेनागढसारी तहसील उखीमठ के निवासी श्री मानवेंद्र सिंह नेगी द्वारा वर्ष अगस्त 2020 में उद्यान विभाग रुद्रप्रयाग के द्वारा दी गयी 125 पौध कागजी नींबू के रोपण किये गए।
उद्यान विभाग द्वारा योजना में दिये गये बारामासी कागजी नींबू पौधों के नाम पर दिये गये पौधों से जंगली जम्भीरी फल आने पर श्री मानवेंद्र सिंह नेगी ने बताया कि जिला उद्यान अधिकारी रुद्रप्रयाग के कार्यालय द्वारा मुझे बर्ष 2020 में योजनान्तर्गत 125 बारामासी कागजी नींबू के बता कर दिए गए। जिनका मैंने पूरी मेहनत से अपने खेतों में रोपण किया। चार वर्षों बाद इन पौधों ने फल देना शुरू किया जो जंगली जम्भीरी के फल है। इस प्रकार उद्यान विभाग की कार्यप्रणाली के कारण मुझे आर्थिक हानि उठानी पड़ी है। उद्यान विभाग रुद्रप्रयाग को इसकी शिकायत कई बार करने पर भी मुझे न्याय नहीं मिल पा रहा है।
मुझे उद्यान विभाग की लापरवाही से हुये नुकसान की भरपाई की जाय तथा जिस नर्सरी से पौधों की आपूर्ति की गयी है उस नर्सरी स्वामी को दंडित किया जाय।
इस प्रकरण के बारे में उद्यान विशेषज्ञ डॉ0 राजेन्द्र कुकसाल का कहना है कि राज्य के बागवानों को उच्च गुणवत्ता की फल पौध आपूर्ति हेतु उत्तराखंड फल पौधशाला अधिनियम 2019 प्रभावी है।
एक्ट के प्राविधानों के अनुसार पौध आपूर्ति करने वाले पौधशाला स्वामियों पर वैधानिक कार्यवाही होनी चाहिए, इसके अतिरिक्त अधिनियम की परिशिष्ट-1 के प्रस्तर 6 के अनुपालन में किसान के समस्त प्रतिकरों का भुगतान भी सम्बन्धित पौधशाला स्वामी द्वारा किया जाएगा। प्रतिकर का निर्धारण मुख्य / जिला उद्यान अधिकारी की अध्यक्षता में गठित कमेटी द्वारा किया जाएगा।